यूरोपीय परिषद से रूस निलंबित
हाल ही में यूक्रेन पर आक्रमण के पश्चात ‘यूरोपीय परिषद’ (Council of Europe: COE ) से रूस को निलंबित कर दिया गया है।
अन्य तथ्य
रूस ने यूक्रेन पर पूरी तरह से बमबारी शुरू कर दी है और रूसी सेना, यूक्रेन की राजधानी ‘कीव’ से 10 किमी से भी कम दूर पर स्थित, ‘ओबोलोन डिस्ट्रिक्ट’ (Obolonskyi District) में प्रवेश कर चुकी है।
यूक्रेन पर रूस की स्थिति के खिलाफ प्रस्ताव:
- हाल ही में अमेरिका द्वारा प्रायोजित ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ के एक प्रस्ताव पर होने वाले मतदान में भारत ने हिस्सा नहीं लिया है। ज्ञातव्य हो कि इस प्रस्ताव में यूक्रेन के खिलाफ रूस की “आक्रामकता” की “कड़े शब्दों में निंदा” की गयी थी ।
- निंदा प्रस्ताव अमेरिका और अल्बानिया द्वारा प्रस्तुत किया गया था, और इसे कई अन्य देशों द्वारा सह-प्रायोजित किया गया था।
- सुरक्षा परिषद के इस प्रस्ताव में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर यूक्रेन की संप्रभुता, स्वतंत्रता, एकता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की गयी।
- प्रस्ताव में रूस से ‘अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर यूक्रेन के क्षेत्र से, अपने सभी सैन्य बलों को तुरंत, पूरी तरह और बिना शर्त वापस लेने’ की मांग की गयी।
भारत का पक्ष : इस मुद्दे पर भारत ने कहा है कि, ‘बातचीत’ ही मतभेदों और विवादों को निपटाने का एकमात्र जवाब है।
भारत द्वारा मतदान में भाग नहीं लेने का कारण:
भारत, रूस के कार्यों की निंदा करने वाले इस प्रस्ताव में प्रयोग की गई कठोर भाषा का समर्थन नहीं करता है। इसके साथ ही , भारत, अमेरिका के नेतृत्व वाले पश्चिमी ब्लॉक और रूस के बीच संतुलन बनाए रखना चाहता है, क्योंकि दोनों पक्षों के देश इसके रणनीतिक साझेदार हैं।
यूरोपीय परिषद के बारे में:
- यह यूरोप में मानवाधिकार, लोकतंत्र और कानून के शासन को बनाए रखने के हेतु , ‘द्वितीय विश्व युद्ध’ के परिणामस्वरूप स्थापित किया गया , एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है।
- 1949 में हुई ‘लंदन की संधि’ के तहत इसको स्थापित किया गया था, यूरोपीय परिषद में 46 सदस्य (यूरोपीय संघ के सभी 27 सदस्यों सहित) देश शामिल हैं, जिनकी कुल आबादी लगभग 820 मिलियन है। इसका वार्षिक बजट लगभग 500 मिलियन यूरो के लगभग होता है।
- इसका मुख्यालय: पैलेस ऑफ यूरोप, स्ट्रासबर्ग, फ्रांस में है ।
भूमिका एवं उत्तरदायित्व:
इस परिषद् के द्वारा बनाए गए क़ानून सदस्य देशों के लिए बाध्यकारी नहीं हैं, किंतु इसे विभिन्न विषयों पर यूरोपीय राष्ट्रों द्वारा अनुमोदित किए गए चुनिंदा अंतरराष्ट्रीय समझौतों को लागू करने की शक्ति प्राप्त है।
स्रोत –द हिन्दू