यूनेस्को ‘विश्व धरोहर स्थल’(UNESCO world heritage sites)

यूनेस्को ‘विश्व धरोहर स्थल’(UNESCO world heritage sites)

यूनेस्को ‘विश्व धरोहर स्थल’(UNESCO world heritage sites)

हाल ही में, यूनेस्को द्वारा ‘लिवरपूल मैरीटाइम मर्केंटाइल सिटी’ (Liverpool Maritime Mercantile City) को अपनी ‘विश्व विरासत सूची’ से निकालने के लिए मतदान किया गया है।

  • संपत्ति के उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्य को अभिव्यक्त करने वाली विशेषताओं की अपरिवर्तनीय क्षति होने के परिणामस्वरूप यूनेस्को की समिति ने ‘वाटरफ्रंट’ से ‘विश्व धरोहर स्थल’ का दर्जा वापस ले लिया गया था।
  • साथ ही तेलंगाना का रुद्रेश्वर मंदिर (Rudreswara Temple) को भारत का 39वां विश्व धरोहर स्थल (World Heritage Site) घोषित किया गया है।
  • 25 जुलाई, 2021 को यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति के 44वें सत्र इसे विश्व धरोहर स्थल’घोषित करने का निर्णय लिया गया रुद्रेश्वर मंदिर (इसे रामप्पा मंदिर भी कहा जाता) को भारत सरकार द्वारा यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल टैग, 2019 के लिए प्रस्तावित किया गया था।

‘विश्व धरोहर स्थल’ क्या होते हैं?

  • ‘विश्व धरोहर स्थल’अथवा‘विश्व विरासत स्थल’ (World Heritage site), को अंतर्राष्ट्रीय महत्व तथा विशेष सुरक्षा की आवश्यकता वाले प्राकृतिक अथवा मानव निर्मित क्षेत्रों या कला कृतियों के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
  • इन स्थलों को ‘संयुक्त राष्ट्र’ (UN)और‘संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन’ (UNESCO) द्वारा आधिकारिक तौर पर मान्यता प्राप्त होती है।
  • यूनेस्को, विश्व धरोहर के रूप में वर्गीकृत स्थलों को मानवता के लिए महत्वपूर्ण मानता हैं, क्योंकि इन स्थलों का सांस्कृतिक और भौतिक महत्व होता है।
  • साल 1972 में यूनेस्को द्वारा अपनाई गई ‘विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत के संरक्षण से संबंधित अभिसमय’ नामक एक अंतरराष्ट्रीय संधि के अंतर्गत‘विश्व धरोहर स्थलों’ का संरक्षण किया जाता है।

प्रमुख तथ्य:

  • विश्व धरोहर स्थलों की सूची, यूनेस्को की ‘विश्व विरासत समिति’ द्वारा प्रशासित एवं ‘अंतर्राष्ट्रीय विश्व धरोहर कार्यक्रम’ के तहत तैयार की जाती है। इस समिति में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा निर्वाचित यूनेस्को के 21 सदस्य देश सम्मिलित होते है।
  • प्रत्येक विश्व धरोहर स्थल, जहाँ वह अवस्थित होता है, उस देश के वैधानिक क्षेत्र का भाग बना रहता है, और यूनेस्को इसके संरक्षण को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के हित में मानता है।
  • विश्व विरासत स्थल के रूप में चयनित होने के लिए, किसी स्थल को पहले से ही भौगोलिक एवं ऐतिहासिक रूप से विशिष्ट, सांस्कृतिक या भौतिक महत्व वाले स्थल के रूप में अद्वितीय, विशिष्ट स्थल चिह्न अथवा प्रतीक के रूप में वर्गीकृत होना चाहिए।

विश्व धरोहर स्थलों के प्रकार:

  • ‘सांस्कृतिक विरासत स्थल’ (Cultural heritage sites): इसके अंतर्गत ऐतिहासिक इमारतें और नगर स्थल, महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल और स्मारकीय मूर्तिकला या पेंटिंग आदि शामिल होते हैं।
  • ‘प्राकृतिक विरासत स्थल’ (Natural heritage sites): यह प्राकृतिक क्षेत्रों तक ही सीमित होते हैं।
  • ‘मिश्रित विरासत स्थल’ (Mixed heritage sites): इसके अंतर्गत शामिल ‘धरोहर स्थलों’ में प्राकृतिक और सांस्कृतिक महत्व दोनों के तत्व होते हैं।

रुद्रेश्वर मंदिर

  • रुद्रेश्वर मंदिर जो तेलंगाना राज्य के मुलुगुजिले के पालमपेट में स्थित है,इसका निर्माण 1213 ई. में काकतीय साम्राज्य के शासन काल में कराया गया था।
  • इस मंदिर का निर्माण काकतीय राजा गणपति देव के सेनापति रेचारला रुद्र ने करवाया था।
  • रामलिंगेश्वर स्वामी इस मंदिर के पीठासीन देवता हैं।
  • इस मंदिर को रामप्पा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, रामप्पाइस मंदिर का मूर्तिकार था, जिसके नाम पर यह नाम रखा गया है, जिन्होंने चालीस वर्षों तक इस मंदिर में काम किया। काकतीयों के शासनकाल के दौरान बने मंदिर परिसरों की एक अलग शैली, सजावट और तकनीक है।

स्रोत –द हिन्दू

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