यूनाइटेड किंगडम (UK) कॉम्प्रिहेंसिव एन्ड प्रोग्रेसिव एग्रीमेंट फॉर ट्रांस-पैसिफ़िक पार्टनरशिप (CPTPP) में शामिल

यूनाइटेड किंगडम (UK) कॉम्प्रिहेंसिव एन्ड प्रोग्रेसिव एग्रीमेंट फॉर ट्रांस-पैसिफ़िक पार्टनरशिप (CPTPP) में शामिल

हाल ही में यूनाइटेड किंगडम ने कॉम्प्रिहेंसिव एन्ड प्रोग्रेसिव एग्रीमेंट फॉर ट्रांस-पैसिफ़िक पार्टनरशिप (CPTPP) में शामिल होने के लिए औपचारिक रूप से एक संधि पर हस्ताक्षर किए हैं।

ज्ञातव्य हो कि यूनाइटेड किंगडम CPTPP में शामिल होने वाला 12वां सदस्य होगा । साथ ही, इसकी स्थापना के बाद से इसमें सम्मिलित होने वाला यूरोप का पहला देश भी होगा ।

कॉम्प्रिहेंसिव एन्ड प्रोग्रेसिव एग्रीमेंट फॉर ट्रांस-पैसिफ़िक पार्टनरशिप (CPTPP)

CPTPP वर्ष 2018 में 11 देशों के बीच बनी सहमति के तहत किया गया समझौता है। ये देश हैं: ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, कनाडा, चिली, जापान, मलेशिया, मैक्सिको, न्यूजीलैंड, पेरू, सिंगापुर और वियतनाम ।

CPTPP के सभी 11 देश एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग के सदस्य हैं।

वर्ष 2017 में ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप (TPP) से संयुक्त राज्य अमेरिका के हटने के बाद TPP की जगह CPTPP की स्थापना की गई थी ।

समझौते के तहत देशों को टैरिफ को खत्म करने या उल्लेखनीय रूप से कम करने और सेवाओं और निवेश बाजारों को खोलने के लिए मजबूत प्रतिबद्धता बनाने की आवश्यकता है।

इसमें विदेशी कंपनियों के लिए प्रतिस्पर्धा, बौद्धिक संपदा अधिकार और सुरक्षा को संबोधित करने वाले नियम भी हैं।

CPTPP का महत्त्व

CPTPP को क्षेत्र में चीन के प्रभुत्व के खिलाफ एक दीवार के रूप में देखा जाता है, हालांकि चीन ने ताइवान, यूक्रेन, कोस्टा रिका, उरुग्वे और इक्वाडोर के साथ इसमें शामिल होने के लिए आवेदन किया है।

यह विश्व के 500 मिलियन उपभोक्ताओं और वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के 13.5 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करने वाला एक व्यापारिक समूह है ।

यह समूह पर्यावरण और श्रम अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है । ये अधिकार विवाद समाधान द्वारा लागू किए जा सकते हैं ।

CPTPP सदस्य देशों के भीतर 98 प्रतिशत वस्तुओं के निर्यात पर प्रशुल्क को समाप्त करता है और बाधाओं को कम करता है।

भारत के CPTPP का हिस्सा न होने का कारण

कृषि क्षेत्रक में किसानों को लगातार (विशेष रूप से ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से) सस्ते व सब्सिडी वाले निर्यात के कारण बाजार से बाहर होने के खतरे का सामना करना पड़ेगा ।

यह भारत के जेनेरिक दवा बाजार को नकारात्मक रूप से प्रभावित करेगा । भारत का विनिर्माण क्षेत्रक शुल्क – मुक्त व्यवस्था में आयात प्रतिस्पर्धा का सामना करने में सक्षम नहीं सकेगा ।

CPTPP में शामिल होने से भारत को लाभ

टैरिफ कम होने से निर्यात कम खर्चीला हो जाएगा। इससे भारतीय व्यवसायों को हिंद-प्रशांत बाजारों में कम लागत पर प्रतिस्पर्धा करने का अवसर मिलेगा ।

जापान, मलेशिया और चिली सहित हिन्द-प्रशांत क्षेत्रों के प्रमुख बाजारों में नई तरजीही पहुंच (Preferential access) संभव होती ।

CPTPP भागीदार बाजारों में व्यापार करने के लिए भारतीय सेवा आपूर्तिकर्ताओं को बेहतर सुरक्षा, पूर्वानुमान और पारदर्शिता की पेशकश कर सकता है

स्रोत – द हिन्दू

Download Our App

More Current Affairs

Share with Your Friends

Join Our Whatsapp Group For Daily, Weekly, Monthly Current Affairs Compilations

Related Articles

Youth Destination Facilities

Enroll Now For UPSC Course