याया- त्सो लद्दाख का पहला जैव विविधता विरासत स्थल (BHS) होगा

याया- त्सो लद्दाख का पहला जैव विविधता विरासत स्थल (BHS) होगा

हाल ही में स्थानीय जैव विविधता प्रबंधन समिति, इस क्षेत्र की पंचायत और सिक्योर (SECURE) हिमालय परियोजना ने याया – त्सो को लद्दाख का पहला BHS घोषित करने का निर्णय लिया है।

याया – त्सो बड़ी संख्या में पक्षियों के लिए नेस्टिंग पर्यावास स्थल है। इनमें बार- हेडेड गूज़, काली गर्दन वाला सारस और ब्राह्मणी बत्तख आदि शामिल हैं।

यह भारत में काली गर्दन वाले सारस के सर्वाधिक ऊंचाई वाले ब्रीडिंग स्थलों में से एक है।

BHS समृद्ध जैव विविधता वाले विशेष तथा पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील पारितंत्र हैं ।

जैव विविधता अधिनियम (BDA)2002 के तहत, राज्य सरकारों को ‘स्थानीय निकायों से परामर्श के बाद जैव विविधता की दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्रों को जैव विविधता विरासत स्थलों (BHSs) के रूप में अधिसूचित करने का अधिकार है।

BHS के लिए मानदंड:

ऐसे क्षेत्र में प्रजातियों की अधिक विविधता हो;

ऐसी प्रजातियों की स्थानिकता विद्यमान हो;

दुर्लभ, स्थानिक और खतरे वाली प्रजातियों की उपस्थिति हो;

की – स्टोन प्रजातियां पाई जाती हों; तथा उद्विकास के महत्त्व वाली प्रजातियां पाई जाती हों ।

भारत में कुल 36 BHS हैं। वर्ष 2022 में महेन्द्रगिरि पहाड़ी (ओडिशा) इस सूची में शामिल किया जाने वाला नवीनतम स्थल है।

सिक्योर हिमालय के बारे में:

यह पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) की एक संयुक्त परियोजना है। यह वैश्विक पर्यावरण सुविधा (GEF) द्वारा वित्त पोषित है।

इसका उद्देश्य हिमालय में अधिक ऊंचाई वाले पारिस्थितिक तंत्रों का संरक्षण और सुरक्षा करना है।

जैव विविधता अधिनियम,2002 तीन-स्तरीय संरचना की स्थापना करता है

  • राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (NBA)
  • राज्य स्तर पर राज्य जैव विविधता बोर्ड (SBB)
  • स्थानीय स्तर पर जैव विविधता प्रबंधन समितियां (BMCs) ।

स्रोत – लाइव मिंट

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