कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) द्वारा मैन्युफैक्चर्ड सैंड (M – सेंड) परियोजना शुरू

कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) द्वारा मैन्युफैक्चर्ड सैंड (M – सेंड) परियोजना शुरू

हाल ही में कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) बड़े पैमाने पर मैन्युफैक्चर्ड सैंड (M – सेंड) परियोजनाओं की शुरुआत करेगी।

CIL अपनी ‘ओवरबर्डन रॉक-टू- M – सैंड’ पहल के तहत अपनी ओपन कास्ट खदानों में अपशिष्ट ओवरबर्डन के प्रसंस्करण की सुविधा प्रदान करती है।

ओपनकास्ट खनन के दौरान कोयला निकालने के लिए सतह के ऊपर की मिट्टी और चट्टानों को अपशिष्ट के रूप हटा दिया जाता है तथा खंडित चट्टान (ओवरबर्डन) को अपशिष्ट भराव क्षेत्रों में डंप कर दिया जाता है।

ओवरबर्डन चट्टानों का उपयोग सड़कों और रेलवे पटरियों के निर्माण के लिए भूमि को समतल करने में किया जाता है।

M–सैंड का उत्पादन चट्टानों व खदान के पत्थरों को पीसकर किया जाता है। फिर इन्हें 150 माइक्रोन का निर्धारित आकार दिया जाता है। यह नदी से निकाले जाने वाली रेत से अलग होती है।

रेत खनन कानून और लघु खनिज

  • खान और खनिज (विकास और विनियम) अधिनियम, 1957 (MMDR अधिनियम) के तहत रेत को “लघु खनिज” (minor mineral) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  • लघु खनिजों का प्रशासनिक नियंत्रण राज्य सरकारों के पास है और इसे राज्यों के अपने नियमों के माध्यम से नियंत्रित किया जाता है।
  • बहुत अधिक मांग, नियमित आपूर्ति और मानसून के दौरान नदी के इकोसिस्टम की सुरक्षा के लिए रेत खनन पर पूर्ण प्रतिबंध के कारण नदी की रेत का विकल्प खोजना बहुत आवश्यक हो गया है।
  • इसी को ध्यान में रखते हुए खान मंत्रालय द्वारा तैयार ‘सैंड माइनिंग फ्रेमवर्क’ (2018) में कोयले की खानों के ओवरबर्डन (ओबी) से क्रश्ड रॉक फाइन्स (क्रशर डस्ट) से मैन्युफैक्चर्ड रेत (M – सैंड) के रूप में प्राप्त रेत के वैकल्पिक स्रोतों की चर्चा की गई है।

M – सैंड के लाभ

  • यह प्राकृतिक रेत का उपयोग करने की तुलना में अधिक लागत प्रभावी है।
  • यह प्राकृतिक रेत के खनन की आवश्यकता को कम करती है, क्योंकि प्राकृतिक रेत खनन नकारात्मक पर्यावरणीय प्रभाव पैदा करता है।
  • यह निर्माण परियोजनाओं के लिए जल की आवश्यक मात्रा को कम करती है, क्योंकि इसे उपयोग करने से पहले धोने की आवश्यकता नहीं होती है।
  • यह जल स्तर बनाए रखने में मदद करती है।
  • रेत को खान और खनिज (विकास और विनियम ) अधिनियम, 1957 के तहत ‘गौण खनिज के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इसका प्रशासनिक नियंत्रण राज्य सरकारों के पास है ।

नदी से प्राप्त रेत (सैंड)

  • M – सैंड की तुलना में कंक्रीट शक्ति कम होती है।
  • परतदार, नुकीले और कोणीय कणों की अधिकता के कारण जोड़ कमजोर होते हैं।
  • गाद सामग्री 20% होती है।
  • गुणवत्ता पर कोई नियंत्रण नहीं होता है, क्योंकि यह प्राकृतिक रूप से निर्मित होती है। एक ही नदी तल की रेत में गाद की मात्रा में अंतर हो सकता है।

M-सैंड (मैन्युफैक्चर्ड सैंड)

  • नदी से प्राप्त रेत की तुलना में इसमें उच्च कंक्रीट शक्ति होती है।
  • M – सैंड के कण घनाकार होते हैं। इससे मजबूत जोड़ बनते हैं।
  • इसमें शून्य गाद सामग्री होती है।
  • नियंत्रित परिवेश में निर्मित होने के कारण बेहतर गुणवत्ता से युक्त है।

स्रोत – द हिन्दू

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