मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी (संशोधन) विधेयक, 2020
मार्च,2020 में ‘मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी (संशोधन) विधेयक’लोकसभा में पारित कर दिया गयाथा।इस विधेयक को वर्तमान में जारी बजट सत्र के दौरान राज्यसभा में पेश किया जाएगा।
इस विधेयक में, प्रत्येक राज्य और केंद्रशासित प्रदेश में एक मेडिकल बोर्डका गठन करने सहित कई संशोधनों का प्रस्ताव किया गया है।
- असामान्य भ्रूण होने संबंधी मामलों में, 24 सप्ताह से अधिक के गर्भ पर बोर्ड द्वारा निर्णय लिया जाएगा।
- प्रत्येक बोर्ड में एक स्त्री रोग विशेषज्ञ, एक रेडियोलॉजिस्ट या सोनोलॉजिस्ट, एक बाल रोग विशेषज्ञ, और राज्य / केन्द्र शासित प्रदेश सरकार द्वारा नामित अन्य सदस्य होंगे।
वर्तमान में संबंधित विवाद:
- नवीनतम अध्ययन के अनुसार, इस प्रकार के बोर्ड का गठन करना ‘अव्यावहारिक’ है, क्योंकि देश में संबंधित चिकित्सकों के 82% पद रिक्त हैं।
मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी (MTP) अधिनियम,1971
- मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी (MTP) अधिनियम,1971 के तहत महिला कोप्रेगनेंसी को 20 सप्ताह तक टर्मिनेट करने का अधिकारदेता है।
- अगर एक अवांछित गर्भावस्था (Unwanted Pregnancy) 20 सप्ताह से आगे बढ़ गई है, तो महिलाओं को अपनी प्रेगनेंसी को टर्मिनेट करने के लिए मेडिकल बोर्ड और न्यायालयों के चक्कर लगाने पड़ते थे, जो कि एक जटिल प्रक्रिया है।
MTP अधिनियम 1971 की धारा 3 (2)
- MTP अधिनियम,1971 की धारा 3 (2) के अनुसार, एक पंजीकृत चिकित्सक द्वारा गर्भावस्था को समाप्त किया जा सकता है-
- जहां गर्भावस्था का समय 12 सप्ताह से अधिक न हो।
- जहां गर्भावस्था का समय बारह सप्ताह से अधिक है, लेकिन बीस सप्ताह से अधिक नहीं है।
- इस मामले में गर्भपात तभी हो सकता है, जब दो से कम पंजीकृत मेडिकल चिकित्सकों की राय में गर्भावस्था की निरंतरता गर्भवती महिला (उसके शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य) के जीवन के लिए जोखिम नहीं बताती या फिर यह साबित नहीं हो जाता कि यदि बच्चा पैदा होता है, तो उसे कुछ शारीरिक या मानसिक असामान्यताओं से गंभीर रोग से गुजरना पड़ सकता है।
प्रस्तावित विधेयक के प्रावधान:
- गर्भधारण के 20 सप्ताह तक गर्भावस्था की समाप्ति के लिए एक पंजीकृत चिकित्सक(दो या अधिक के बजाय) की राय की आवश्यकता होगी।
- 20 से 24 सप्ताहकी गर्भावस्था की समाप्ति के लिए दो पंजीकृत चिकित्सा चिकित्सकों की राय की आवश्यकता होगी।
- प्रेग्नेंसी टर्मिनेशन की अवधि 24 सप्ताह तक बढ़ाने की वजह बलात्कार पीड़िता, दुराचार का शिकार (परिवार के सदस्यों या करीबी रिश्तेदारों के बीच मानव यौन गतिविधि), कमजोर महिलाओं और अन्य नाबालिग लड़कियों को सुरक्षा प्रदान करना है।
- साथ ही अविवाहित महिलाओं के लिए यह विधेयकगर्भनिरोधक-विफलता की स्थिति मेंअपने लिए निर्णय लेने का अधिकार देती है। पहले “केवल विवाहित महिला या उसके पति” को ही प्रेग्नेंसी टर्मिनेशन का अधिकार देती थी, लेकिन यह विधेयक “किसी भी महिला या उसके साथी” के लिए समान प्रस्ताव रखता है।
भारत में गर्भपात की स्थिति:
- लैंसेट रिसर्च से पता चलता है कि भारतमेंकेवल 22% गर्भपात सार्वजनिक या निजी स्वास्थ्य सुविधाओं के माध्यम से किए जाते हैं।
- यूनिसेफ इंडिया और वर्ल्ड बैंकके आंकड़ों के अनुसार, भारत दुनिया भर में सबसे ज्यादा मातृ मृत्यु के मामलों में गिना जाता है। भारत हर साल औसतन 45,000 और 12 मिनट में 1 मातृ मृत्यु होती है।
स्रोत – द हिन्दू