RBI ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए ‘मुद्रा और वित्त संबंधी रिपोर्ट (RCF) जारी की
हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए अपनी वार्षिक ‘मुद्रा और वित्त संबंधी रिपोर्ट (RCF) जारी की हैं ।
इस रिपोर्ट की थीम “रिवाइव और रिकंस्ट्रक्ट” है। यह रिपोर्ट मध्यम अवधि के लिए 6.5-8.5% की स्थिर आर्थिक संवृद्धि हेतु एक रणनीति प्रदान करती है।
रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष–
- भारतीय अर्थव्यवस्था को कोविङ-19 के नुकसान से उबरने में 12 वर्ष से अधिक समय लग सकता है।
- सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पूंजी के समावेश से इन बैंकों के पूंजी-जोखिम भारित परिसंपत्ति अनुपात (CRAR) को सुधारने में मदद मिली है। इन बैंकों का CRAR मार्च 2016 में 11.8 प्रतिशत था, जो सुधरकर दिसंबर 2021 तक 14.3 प्रतिशत हो गया था।
- परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों (ARC) के माध्यम से वसूल की गई राशि हाल के वर्षों में कम हो गयी थी। हालांकि, यह सुधरकर वर्ष 2020-21 में 41 प्रतिशत हो गयी थी।
- रूस-यूक्रेन संकट के कारण उत्पन्न मुद्रास्फीति और वि–वैश्वीकरण (De-Globalisation) अन्य प्रमुख चुनौतियां हैं, जिनका अर्थव्यवस्था सामना कर रही है।
प्रमुख सिफारिशें:
- राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण (NCLT) की पीठों की संख्या में वृद्धि करके दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता की अवसंरचना को मजबूत किया जाना चाहिए।
- व्यवसाय को प्रभावित करने वाले जोखिम कारकों के बारे में स्पष्ट रूप से बताया जाना चाहिए। यह प्राथमिक बाजार में निवेशकों का विश्वास बनाए रखने हेतु आवश्यक है।
- हितधारकों को डिजिटल धोखाधड़ी, डेटा उल्लंघनों और डिजिटल अल्पाधिकारों (Oligopoly) से बचाने के लिए सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
- पूंजी पर्याप्तता अनुपात (CAR) या CRAR किसी बैंक की उपलब्ध पूंजी की माप है। इसे बैंक के जोखिम–भारित ऋण एक्सपोज़र के प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है।
- बैंकिंग क्षेत्र में नैतिक जोखिम (Moral Hazard) समस्या इस अवधारणा पर आधारित है कि कुछ बैंक आमतौर पर अधिक लाभ अर्जित करने के लिए जोखिम उठाते हैं। इसका कारण यह है कि वे जानते हैं कि भविष्य में सरकार उन्हें समस्या से बाहर निकाल लेगी।
स्रोत –द हिन्दू