मुद्रास्फीति पर नियंत्रण हेतु सरकार द्वारा उपायों की घोषणा
हाल ही में मुद्रास्फीति पर नियंत्रण के लिए चीनी निर्यात पर पाबंदी, तथा सूरजमुखी और सोयाबीन तेल के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति दी गयी है ।
वर्तमान खाद्य मुद्रास्फीति अलग-अलग कारणों से है। यह स्थिति विशेष रूप से आपूर्ति पक्ष में बाधा के कारण उत्पन्न हुई है।
मुद्रास्फीति के दबाव को कम करने के लिए सरकार ने निम्नलिखित उपायों की घोषणा की है:
- अगले 2 वर्षों के लिए कच्चे सोयाबीन और सूरजमुखी तेल के आयात पर सीमा शुल्क तथा कृषि अवसंरचना विकास उपकर से छूट दी गयी है।
- चालू सीजन के लिए चीनी का निर्यात 10 मिलियन मीट्रिक टन तक सीमित कर दिया गया है।
इस बाधा के लिए उत्तरदायी कारण निम्नलिखित हैं:
- कोविड-19 महामारी के बाद उत्पादों की मांग, पूर्व की स्थिति में आ गयी है। वहीं खराब मौसम, कच्चे माल/इनपुट की कमी, श्रम की कमी आदि जैसे कई कारकों की वजह से उत्पादन कम हो गया है।
- कई देशों ने निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिए हैं। जैसे; इंडोनेशिया ने पाम ऑयल के निर्यात पर अस्थायी प्रतिबंध लगा दिया था।
- तेल और अन्य आगत/कच्चे माल की कीमतें बढ़ गयीं हैं।
- रूस-यूक्रेन युद्ध।
- हालांकि, भारत खाद्यान्न और चीनी का अधिशेष उत्पादन करता है, परंतु मांग एवं आपूर्ति के अंतर को पूरा करने के लिए यह खाद्य तेलों जैसी कई वस्तुओं के आयात पर निर्भर है।
- इसलिए, उत्पादों की कीमतों में वैश्विक स्तर पर वृद्धि का प्रभाव भारत में भी महसूस किया जाता है।
- यह सामान्य जन की वित्तीय स्थिति को प्रभावित करता है। इससे व्यक्ति की क्रय क्षमता कम हो जाती है। साथ ही, यह बचत को भी प्रभावित करता है।
- खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए कुछ अन्य कदम भी उठाए गए हैं, जैसे: पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती की गयी है,
- निजी क्षेत्रों द्वारा गेहूं का निर्यात किये जाने पर पाबंदी लगायी गयी है आदि।
स्रोत –द हिन्दू