संसदीय समिति ने किया प्रमुख व्यापार भागीदारों के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर
हाल ही में संसदीय समिति ने प्रमुख व्यापार भागीदारों के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर हस्ताक्षर करने में बाधा डालने वाले मुद्दों का समाधान करने का आग्रह किया है।
वाणिज्य पर संसदीय स्थायी समिति ने ‘ऑगमेंटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर फैसिलिटीज टू बूस्ट एक्सपोर्ट्स’ नामक एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में समिति ने विचार व्यक्त किया है कि घरेलू बाजार और निर्यातकों के हितों को संतुलित करते हुए FTAपर हस्ताक्षर किए जाने चाहिए।
FTA दो या दो से अधिक देशों के बीच आयात और निर्यात में मौजूद बाधाओं को कम करने के लिए हस्ताक्षरित एक समझौता है।
संसदीय समिति (PSC) द्वारा रेखांकित की गई प्रमुख चिंताएं
- वर्ष 2020 में 15.73% की ऋणात्मक वृद्धि दर दर्ज करते हुए, भारत का निर्यात वर्ष 2019-20 की तुलना में संकुचित हुआ है।
- निर्यात उत्पादों पर शुल्क और करों की छूट (RoDTEP) योजना के लिए बजट आवंटन इसके उद्देश्यों को पूरा करने के लिए अपर्याप्त है।
- अमेरिका और यूरोपीय संघ के देशों के साथ FTAs नहीं किये गए हैं। इस कारण जब घरेलू निर्यातक अन्य निर्यातक देशों के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं, तो उन्हें अमेरिका और यूरोपीय बाजारों में हानि का सामना करना पड़ता है।
मुख्य सिफारिशें
- भारत को मौजूदा मंदी से उबरने तथा वैश्विक निर्यात में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए निर्यात संवर्धन में प्रयासों को तीव्र करना, निर्यात बास्केट का विस्तार करना और नए निर्यात बाजारों में प्रवेश करना चाहिए।
- अमेरिका और यूरोपीय संघ के साथ FIA पर हस्ताक्षर करने में बाधा उत्पन्न करने वाले मुद्दों का समाधान किया जाना चाहिए।
- RoDTEP योजना को कम से कम पांच वर्षों तक या भारत की ब्याज दरों के प्रतिस्पर्धी देशों की ब्याज दरों के बराबर होने तक विस्तार प्रदान करना चाहिए।
स्रोत – द हिन्दू