मिज़ोरम के ब्रू शरणार्थी का पुनर्वास
वर्ष 2020 में दिल्ली में हुए चतुर्पक्षीय समझौते के तहत मिज़ोरम के ब्रू शरणार्थियों को त्रिपुरा में बसाने की प्रक्रिया हाल ही में प्रारंभ कर दी गई है।
विदित हो कि जनवरी 2020 में एक चतुर्पक्षीय समझौता हुआ था जिसमें केंद्र सरकार, मिज़ोरम और त्रिपुरा की सरकारों और ब्रू संगठनों के नेताओं ने हस्ताक्षर किये थे।
इस समझौते के तहत गृह मंत्रालय ने ब्रूजनजाति को त्रिपुरा में बसाने की प्रक्रिया पर आने वाले सम्पूर्ण खर्च को वहन करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की थी ।
एवं इस समझौते के तहत ब्रू-परिवारों को 1200 वर्ग फीट का आवासीय क्षेत्र प्रदान कियाजाएगा।
पुनर्वास सहायता के रूप में, परिवारों को 2 साल के लिए प्रति माह पांच हजार रुपये, और मुफ्त राशन दिया जाएगा। इसके अलावा, सभी ब्रू-जनजाति के विस्थापित परिवारों को घर बनाने के लिए 1.5 लाख रुपये की नकद सहायता प्रदान की जाएगी।
पृष्ठभूमि:
- “ब्रू” या “रियांग” जनजातित्रिपुरा, मिज़ोरम और असम आदि पूर्वोत्तर राज्य में निवास करती है। यह समुदाय त्रिपुरा में विशेष रूप से कमज़ोरजनजातीय समूहके रूप में पहचान जाता है।
- इस समुदाय के लोगों को मिजोरम के निवासी विदेशी मानते हैं, इस कारण इन्हें वहां कई तरह की समस्यायों का सामना करना पढता है ।
- इसी क्रम में वर्ष 1997 में हुए दंगों के बाद मिज़ोरम के मामित, कोलासिब और लुंगलेईज़िलोंसे लगभग 37,000 ब्रूशरणार्थी भगा दिए गए , जिन्हें बाद में इन्हें त्रिपुरा के राहत कैंपों में रखा गया।तभी से इनके इनकेपुनर्वास हेतु सरकार द्वारा प्रयास किये जा रहे है।
स्रोत – द हिंदू