मानस राष्ट्रीय उद्यान में पिग्मी हॉग (Pygmy Hogs) को छोड़ा जाना
असम के ‘मानस राष्ट्रीय उद्यान’ में हाल ही में 8 पिग्मी हॉग (Pygmy Hogs) को छोड़ा गया हैं।
मुख्य बिंदु
- इन सभी पिग्मी हॉग को सरकार के ‘पिग्मी हॉग कंजर्वेशन प्रोग्राम’ (Pygmy Hog Conservation Programme- PHCP) के तहत असम के जंगल में छोड़ा गया है।
- ‘पिग्मी हॉग कंजर्वेशन प्रोग्राम’के माध्यम से वर्ष 2025 तक असम के मानस राष्ट्रीय उद्यान में 60 पिग्मी हॉग छोड़ने की योजना बनाई गई है।
- विदित हो कि असम का यह राष्ट्रीय उद्यान, इस पिग्मी हॉग प्रजाति का मुख्य निवास स्थान है, और यहाँ पर इसकी मूल आबादी अभी भी जीवित है, कुछ समय से इनकी संख्या में काफी गिरावट आई है।
पिग्मी हॉग कंजर्वेशन प्रोग्राम’ (PHCP)क्या है?
PHCP, यूनाईटेड किंगडम के जर्सी (Jersey) शहरमें स्थित ‘ड्यूरेल वाइल्डलाइफ कंज़र्वेशन ट्रस्ट’ (Durrell Wildlife Conservation Trust), असम वन विभाग, वाइल्ड पिग स्पेशलिस्ट ग्रुप, और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय का एक संयुक्त कार्यक्रम है। इसे आरण्यक और इकोसिस्टम्स इंडिया की सहायता से कार्यन्वित किया जा रहा है।
पिग्मी हॉग (Pygmy Hog)
- ये संसार के सबसे दुर्लभ और सबसे छोटे जंगली सूअर हैं। ये मुख्य रूप से हिमालय की दक्षिणी तलहटी में घने जलोढ़ घास के मैदानों के मूल निवासी है।
- इनका मूल निवास स्थान भारत ही है और यह उत्तर-पश्चिमी असम में मानस राष्ट्रीय उद्यान के आसपास बहुत कम स्थानों तक ही सीमित हैं।
- भारत के जंगलों में इनकी कुल आबादी लगभग 250 के आसपास बची है और यह विश्व के सबसे संकटग्रस्त स्तनधारियों में से एक है।
- वर्तमान में यह प्रजाति IUCN लाल सूची में ‘गंभीर रूप से संकटग्रस्त’ (Critically Endangered) के रूप में सूचीबद्ध है।
- भारत के‘वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत पिग्मी हॉग को अनुसूची-I प्रजाति के रूप में सम्मिलित किया गया है।
स्रोत – द हिन्दू