भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) द्वारा मानसून पूर्वानुमान 2023
हाल ही में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने 2023 में सामान्य मानसून का पूर्वानुमान जारी किया है।
IMD ने पूर्वानुमान जारी कर बताया है कि पूरे देश में जून से सितंबर तक दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान 96 प्रतिशत वर्षा होने की संभावना है।
पूर्वानुमान दीर्घकालिक औसत (Long Period Average: LPA) के आधार पर लगाया गया है।
वर्षा का LPA, एक विशेष क्षेत्र में औसतन एक निश्चित अंतराल (जैसे- महीने या मौसम) के लिए लंबी अवधि में दर्ज की गई वर्षण की औसत मात्रा है। यह दीर्घ अवधि 30 वर्ष या 50 वर्ष हो सकती है।
पिछले चार वर्षों (2019 से 2022 ) में भारत में सामान्य या सामान्य से अधिक वर्षा दर्ज की गई है।
IMD अपने पूर्वानुमान में भारतीय मानसून को प्रभावित करने वाले निम्नलिखित तीन कारकों पर विचार करता है:
- अल नीनो: इसकी उपस्थिति को भारत में कमजोर वर्षा के साथ जोड़कर देखा जाता है ।
- हिंद महासागर द्विध्रुव (Indian Ocean Dipole: IOD): यह पश्चिमी हिंद महासागर और पूर्वी हिंद महासागर के बीच समुद्री सतह के तापमान में अंतर है। सकारात्मक IOD भारतीय मानसून के लिए अच्छा माना जाता है।
- हिमावरण (Snow Cover): उत्तरी गोलार्ध और यूरेशिया में सर्दी एवं वसंत ऋतु के दौरान हिमावरण का स्तर ग्रीष्मकालीन मानसूनी वर्षा को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
अल नीनो: अल नीनो- दक्षिणी दोलन (ENSO) का वार्म फेज (उष्ण चरण) है। इस परिघटना में पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में सतही जल असामान्य रूप से गर्म हो जाता है।
ला नीना: ENSO का कूल फेज (शीत चरण) है। वर्ष 2019 से भारत का मानसून ला नीना के प्रभाव में है। इस वजह से भारत में पर्याप्त मानसूनी वर्षा दर्ज की जा रही है।
स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस