माउंट न्यारागोंगो
- कांगो स्थित ‘माउंट न्यारागोंगो’ ज्वालामुखी में हाल ही में विस्फोट हुआ है। इस विस्फोट के कारण हजारों लोगों अपने घरों से पलायन कर रवांडा के पूर्वी हिस्से में शरण लेने के लिए जा रहे हैं। माउंट न्यारागोंगो डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो के गोमा नाम के शहर के उत्तर में लगभग 20 किमी दूर है।
- लोगों के अनुसार यह ज्वालामुखी 2002 में भी फटा था। उस वक्त सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 250 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 1 लाख 20 हजार लोग बेघर हो गये थे।
- ज्ञातव्य ही कि माउंट न्यारागोंगो, अल्बर्टाइन रिफ्ट (Albertine Rift) से लगे हुए विरुंगा पर्वत में 3,470 मीटर की ऊंचाई का एक सक्रिय विवृत ज्वालामुखी (stratovolcano) है।
- यह ज्वालामुखी, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में विरुंगा नेशनल पार्क के अन्दर है। इसका मुख्य गड्ढा लगभग दो किलोमीटर चौड़ा है, और यह आमतौर पर इसमें एक लावा झील है।
- न्यारागोंगो और इसका निकटवर्ती ‘न्यामुरागिरा’ (Nyamuragira), संयुक्त रूप से अफ्रीका में होने वाले 40 प्रतिशत ऐतिहासिक ज्वालामुखी विस्फोटों के लिए जिम्मेदार हैं।
ज्वालामुखी के प्रकार
सक्रियता के आधार पर यह तीन प्रकार का होता है
- सक्रिय या जाग्रत (Active)
- मृत (Extinct)
- सुषुप्त या निद्रित (Dormant)
सक्रिय या जाग्रत ज्वालामुखी : अगर कोई ज्वालामुखी वर्तमान में फट रहा हो, या उसके जल्द ही फटने की आशंका हो, या फिर उसमें गैस रिसने, धुआँ या लावा उगलने, या भूकम्प आने जैसे सक्रियता के चिह्न हों तो उसे सक्रिय ज्वालामुखी माना जाता है।
मृत ज्वालामुखी: यह वे ज्वालामुखी होते हैं जिनके बारे में वैज्ञानिकों की अपेक्षा है कि वे फटेंगे नहीं। किसी ज्वालामुखी के कभी भी विस्फोटक प्रकार की सक्रियता की कोई भी घटना नहीं देखि गई तो अक्सर उसे मृत समझा जाता है।
प्रसुप्त या सुप्त ज्वालामुखी : अगर मानवीय स्मृति में कोई ज्वालामुखी कभी भी इतिहास में बहुत पहले फटा हो तो उसे सुप्त ही माना जाता है लेकिन मृत नहीं। बहुत से ऐसे ज्वालामुखी हैं जिन्हें फटने के बाद एक और विस्फोट के लिये दबाव बनाने में लाखों साल गुज़र जाते हैं – इन्हें उस दौरान सुप्त माना जाता है।
स्रोत – द हिन्दू