माइक्रो-केल्विन तापमान पर परमाणुओं के स्पिन गुणों को मापने की एक तकनीक तैयार

माइक्रो-केल्विन तापमान पर परमाणुओं के स्पिन गुणों को मापने की एक तकनीक तैयार

परमाणु तंत्र में अत्यंत कम तापमान पर तरंगों के बीच लंबे समय तक रहने वाले सहसंबंधों का लाभ प्रभावी क्वांटमकंप्यूटिंग के लिए उठाया जा सकता है।

  • भारतीय वैज्ञानिकों ने अविनाशी विधि द्वारा माइक्रो-केल्विन तापमान पर शीतल किए गए परमाणुओं के स्पिन गुणों को मापने के लिए एक तकनीक तैयार की है।इससे पहले इन गुणों का मापन करने वाली तकनीक विनाशकारी थी और मापन के दौरान परमाणु नमूने को बाधित करती थी।
  • स्पिन, परमाणुओं और प्राथमिक कणों जैसे इलेक्ट्रॉनों तथा प्रोटॉन की एक मौलिक क्वांटम विशेषता होती है।जैसे ही परमाणुओं को अत्यंत कम तापमान पर शीतल किया जाता है, उनकी स्पिनसुसंगतता (coherences) लंबे समय तक बनी रहती है। इसलिए, यह स्थितिक्वांटमकंप्यूटरों के लिए बेहतर होती है।
  • क्वांटमकंप्यूटिंग, क्वांटमथ्योरी के सिद्धांतों के आधार पर कंप्यूटर प्रौद्योगिकी विकसित करने पर केंद्रित है। यह क्वांटम (परमाणु और उप–परमाणु) स्तर पर ऊर्जा एवं पदार्थ की प्रकृति व व्यवहार की व्याख्या करती है।
  • पारंपरिक कंप्यूटरों के तहत 0 या 1 का प्रतिनिधित्व करने वाले बिट्स का उपयोग करके जानकारी संग्रहित की जाती है। इसके विपरीत, क्वांटम कंप्यूटर के तहत एक हीसमय में 0, 1 या दोनों के रूप में जानकारी को एन्कोड या कूटबद्ध करने के लिए क्वांटमबिट्स या क्वैबिट्स का उपयोग किया जाता है।

ये क्वांटम भौतिकी के दो प्रमुख सिद्धांतों के अनुसार कार्य करते हैं:सुपरपोज़िशन (Superposition) और एंटेंगलमेंट (Entanglement)।

  • सुपरपोज़िशन (अधिस्थापन): इसका आशय यह है कि प्रत्येक क्वैबिट एक ही समय में 1 और 0 दोनों का प्रतिनिधित्व कर सकता है।
  • एंटेंगलमेंटः इसका अर्थ यह है कि सुपरपोज़िशन में क्वैबिट को एक दूसरे के साथ सहसंबद्ध (correlated) किया जा सकता है, अर्थात एक की स्थिति (चाहे वह 1 हो या 0 हो) दूसरे की स्थिति पर निर्भर हो सकती है।

स्रोत – द हिन्दू

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