महिला वैज्ञानिकों की संख्या में वृद्धि: रिपोर्ट
हाल ही में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के आंकड़ों के अनुसार पिछले दो दशकों में महिला वैज्ञानिकों की संख्या में वृद्धि हुई है।
DST डेटा के मुख्य निष्कर्ष–
- शोधकर्ताओं में महिलाओं की भागीदारी वर्ष 2018 में बढ़कर 7% हो गई थी। यह वर्ष 2015 में 13.9% थी।
- हालांकि, प्राकृतिक विज्ञान और कृषि (प्रत्येक 5%) तथा स्वास्थ्य विज्ञान (24.5%) की तुलना में इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी (14.5%) क्षेत्र में कम महिला शोधकर्ताएं थीं।
- वर्ष 2018-19 में बाहरी छात्रों (जो विश्वविद्यालय आदि में नियमित रूप से अध्ययनरत नहीं हैं) से संबंधित अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं में 28% महिला प्रतिभागी शामिल थी
- जबकि यही भागीदारी वर्ष 2000-01 में 13% थीं।
- स्नातकोत्तर स्तर तक महिलाओं की भागीदारी बेहतर रही है। लेकिन डॉक्टरेट के बाद के चरणों में गिरावट दर्ज की गई है।
महिलाओं द्वारा सामना की जाने वाली बाधाएं:
- सामाजिक अवस्थितिः महिलाओं के खिलाफ लैंगिक भेदभाव, कम आयु में विवाह आदि ।
- संथाओं से जुड़ी प्रथाएं: नियमों और प्रथाओं में लैंगिक भेदभाव, कुछ क्षेत्र महिलाओं के लिए प्रतिबंधित होना आदि।
सरकार द्वारा उठाए गए कदम–
- किरण/KIRAN (नॉलेज इवॉल्वमेंट इन रिसर्च एडवांसमेंट थू नर्चरिंग): यह महिला वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करने के लिए DST की एक योजना है।
- क्यूरी/CURIE (यूनिवर्सिटी रिसर्च फॉर इनोवेशन एंड एक्सीलेंस इन वुमन यूनिवर्सिटीज): यह किरण योजना का एक उप-घटक है। इसका उद्देश्य महिला विश्वविद्यालयों में अत्याधुनिक अवसंरचना का विकास करना है।
- विज्ञान ज्योति योजनाः इसका उद्देश्य उच्चतर शिक्षा में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) चुनने के लिए हाई स्कूल में मेधावी लड़कियों को समान अवसर प्रदान करना है।
- जेंडर एडवांसमेंट फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंस्टीट्यूशंस (गति/GATI) परियोजनाः यह यूनाइटेड किंगडम के एथेना स्वान चार्टर पर आधारित है।
स्रोत –द हिन्दू