‘मनरेगा’ के तहत अधिक महिला केंद्रित रोजगार हों सृजित

मनरेगाके तहत अधिक महिला केंद्रित रोजगार हों सृजित

हाल ही में ‘ग्रामीण विकास और पंचायती राज पर संसदीय स्थायी समिति’ ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) के संबंध में अपनी सिफारिशों पर की गई कार्रवाई पर रिपोर्ट प्रस्तुत की है।

इसके अनुसार संसदीय स्थायी समिति ने सुझाव दिया है कि मनरेगा (MGNREGA) के तहत अधिक महिला केंद्रित रोजगार सृजित किए जाने चाहिए।

समिति की अन्य सिफारिशें

  • मनरेगा के तहत कार्य दिवसों की संख्या 100 से बढ़ाकर 150 दिवस किए जाने चाहिए।
  • वर्तमान में, सूखा/प्राकृतिक आपदा से प्रभावित अधिसूचित ग्रामीण क्षेत्रों में 50 अतिरिक्त दिवसों का कार्य प्रदान किया जा सकता है।
  • साथ ही, राज्य सरकारें अपनी स्वयं की निधि से अतिरिक्त कार्य दिवस प्रदान कर सकती हैं।
  • महिला केंद्रित कार्यों को बढ़ावा देकर महिलाओं की आर्थिक शक्ति को मजबूत किया जाना चाहिए।
  • हालांकि, मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी उनके लिए आरक्षित एक तिहाई संख्या से अधिक रही है, लेकिन पिछले 5 वर्षों से अधिक समय से भागीदारी 50% के आसपास स्थिर रही है।
  • मजदूरी में वृद्धि के लिए मौजूदा उपभोक्ता मूल्य सूचकांक-कृषि श्रमिक (CPI-AL) की बजाय संगत मुद्रास्फीतिकारी सूचकांक को आधार बनाया जाना चाहिए।
  • CPI-AL श्रम ब्यूरो द्वारा जारी किया जाता है। अलग-अलग राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए भिन्न-भिन्न CPI-AL होता है।
  • मनरेगा के तहत मजदूरी की असमानता को समाप्त करने के लिए पूरे देश में एक ही एकीकृत मजदूरी दर होनी चाहिए। वर्तमान में, यह विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 193 रुपये से लेकर 318 रुपये तक है।
  • निधियों को समय पर जारी करने के लिए राज्यों के साथ प्रभावी समन्वय सुनिश्चित करने की जरूरत है।
  • खर्च नहीं की गई राशि को बेहतर कार्यों में लगाया जाना चाहिए।
  • गरीब और हाशिए पर रहे लाभार्थियों को मजदूरी का समय पर भुगतान किया जाना चाहिए।

मनरेगा के बारे में

  • यह एक केंद्र सरकार–प्रायोजित योजना है। ग्रामीण विकास विभाग इसकी कार्यान्वयन एजेंसी है।
  • यह मांग-आधारित मजदूरी रोजगार कार्यक्रम है। इस कार्यक्रम के तहत प्रत्येक ग्रामीण परिवार को एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों के मजदूरी आधारित रोजगार की गारंटी दी जाती है।
  • परिवार के उन वयस्क सदस्यों को कार्य दिया जाता है, जो अकुशल शारीरिक कार्य करने के लिए स्वेच्छा से पंजीकरण कराते हैं।

स्रोत द हिन्दू

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