हाल ही में सेना ने महिलाओं को स्थायी कमीशन (permanent commission: PC) देने पर सहमति प्रदान की।
यह घोषणा उच्चतम न्यायालय (SC) द्वारा प्रदत्त आदेश का पालन नहीं करने पर सेना के विरुद्ध अवमानना की कार्यवाही की चेतावनी के बाद की गई है। ध्यातव्य है कि मार्च 2021 में SC ने अपने निर्णय में शॉर्ट सर्विस कमीशन (SSC) के अंतर्गत सेवारत महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने का आदेश दिया था।
- फरवरी 2020 में, उच्चतम न्यायालय (बबीता पुनिया केस) ने निर्देश दिया था कि सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन दिया जाए। महिलाओं की शारीरिक सीमाओं के बारे में सरकार के तर्कों को अस्वीकार करते हुए SC ने यह कहा कि ये तर्क लिंग आधारित रूढ़ियाँ (sex stereotypes) और महिलाओं के विरुद्ध लैंगिक भेदभाव पर आधारित हैं।
- मार्च 2021 में, महिला अधिकारियों ने इस बात पर प्रकाश डालते हुए उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी कि महिलाओं को स्थायी कमीशन देने के लिए सेना द्वारा अपनाए गए मूल्यांकन संबंधी मानदंड उनके विरुद्ध “प्रणालीगत भेदभाव” का कारण बने हैं।
- न्यायालय ने सेना को निर्देश दिया था कि वह मूल्यांकन के विषयों में 60% अंक प्राप्त करने वाली, चिकित्सकीय रूप से फिट पाई गई और अनुशासनात्मक तथा सतर्कता संबंधी मंजूरी/अनापत्ति प्राप्त करने वाली महिलाओं को स्थायी कमीशन प्रदान करे।
- न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया था कि सभी महिला SSC अधिकारी, जिन्होंने न्यायालय की शरण नहीं ली है, किंतु वे मूल्यांकन मानदंडों को पूरा कर रही हैं,उन्हें उनकी इच्छानुसार स्थायी कमीशन दिया जाएगा।
- वर्तमान में महिलाएं सेना का एक छोटा हिस्सा ही हैं। महिलाओं की थल सेना में 0.56%, वायु सेना में 1.08% और नौसेना 3 में 6.5% ही भागीदारी है।
- स्थायी कमीशन का अर्थ सेना में सेवानिवृत्ति तक का सेवाकाल है, जबकि शॉर्ट सर्विस कमीशन कुल 14 वर्षों के लिए होता है। इसमें शुरुआती अवधि 10 वर्ष की होती है, जिसे अधिकारी के मूल्यांकन के बाद आगे और 4 वर्षों के लिए बढ़ा दिया जाता है।
स्रोत – द हिन्दू