हाल ही में गृह मंत्रालय ने महिलाओं के विरुद्ध अपराध के मामलों के निपटान की क्षमता को मजबूत करने हेतु परामर्शिका जारी की है।
- परामर्शिका महिलाओं के विरुद्ध अपराधों से निपटने के लिए तंत्र को मजबूत करने हेतु संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट में की गई सिफारिशों पर आधारित है।
- राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2019 की तुलना में वर्ष 2020 में शहरों में महिलाओं के विरुद्ध अपराध के मामलों में 3% की गिरावट आई है। मामलों में गिरावट मुख्य रूप से कोविङ-19 से जुड़े प्रतिबंधों के कारण थी।
गृह मंत्रालय द्वारा सुझाए गए उपायों में शामिल हैं:
- पुलिस को परिवार के सदस्यों द्वारा महिलाओं के विरुद्ध अपराध की रिपोटिंग में देरी के कारणों को दर्ज करना चाहिए। इसके अतिरिक्त, अपराध और अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क प्रणाली (Crime and Criminal Tracking Network Systems: CCTNS) को भी कारणों के बारे में सूचित किया जाना चाहिए।
- स्थायी समिति ने यह स्पष्ट किया है कि शिकायत का दर्ज न होना पीड़िता और परिवार को न्याय से वंचित करने एवं न्याय मिलने में देरी के प्रमुख कारणों में से एक है।
- पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो द्वारा जारी ‘महिला सुरक्षा और संरक्षा पर एक पुस्तिका पुलिस कर्मियों के प्रशिक्षण मॉड्यूल में होनी चाहिए।
- गृह मंत्रालय ने राज्यों से कठोर कार्रवाई के लिए अपराध मानचित्रण और हॉटस्पॉट की पहचान के माध्यम से स्ट्रीट क्राइम्स की रोकथाम में दिल्ली पुलिस द्वारा अपराध विश्लेषण के उपयोग पर ध्यान देने के लिए कहा है।
- महिलाओं के विरुद्ध अपराधों को रोकने के लिए गृह मंत्रालय की पहले लैंगिक अपराधों से जुड़े मामलों में पुलिस जांच की निगरानी और ट्रैक करने के लिए जांच ट्रैकिंग प्रणाली स्थापित की गई है।
- फिर से लैंगिक अपराध करने वाले अपराधियों की पहचान करने और लैंगिक अपराधियों पर अलर्ट प्राप्त करने के लिए लैंगिक अपराधियों का राष्ट्रीय डेटाबेस निर्मित किया गया है।
- जघन्य अपराधों पर जानकारी साझा करने और अंतरराज्यीय अपराधों में समन्वय के लिए क्राइम मल्टी-एजेंसी सेंटर (Cri-MAC) स्थापित किया गया है।
- महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध साइबर अपराध निवारण योजना आरंभ की गई है।
स्रोत – द हिन्दू