किशोरियों और प्रजनन आयु वर्ग की महिलाओं की पोषण स्थिति रिपोर्ट  

किशोरियों और प्रजनन आयु वर्ग की महिलाओं की पोषण स्थिति रिपोर्ट  

हाल ही में यूनिसेफ ने “अल्पपोषित और उपेक्षितः किशोरियों एवं महिलाओं में वैश्विक पोषण संकट” (Undernourished and Overlooked: A Global Nutrition Crisis in Adolescent Girls and Women) शीर्षक से रिपोर्ट जारी की है ।

  • उपर्युक्त रिपोर्ट किशोरियों और प्रजनन आयु वर्ग ( 15-49 वर्ष) की महिलाओं की पोषण स्थिति का परीक्षण करती है।
  • साथ ही, यह पोषक आहार प्राप्त करने, आवश्यक पोषण सेवाओं का उपयोग करने आदि में इनके द्वारा सामना की जाने वाली बाधाओं का भी परीक्षण करती है।

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष

  • विश्व की एक अरब से अधिक किशोरियां और महिलाएं अल्पपोषण, आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी तथा एनीमिया से ग्रसित हैं ।
  • दक्षिण एशिया और उप-सहारा अफ्रीका में 68 प्रतिशत किशोरियां और महिलाएं अल्पवजनी हैं। इसके अतिरिक्त, 60 प्रतिशत किशोरियां एवं महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं।
  • कोई भी क्षेत्र 2030 तक किशोरियों और महिलाओं में एनीमिया के मामलों को आधा करने तथा अल्पवजन के साथ जन्म लेने वाले नवजात शिशुओं की सख्या में 30 प्रतिशत तक कमी करने के वैश्विक लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में आगे नहीं बढ़ रहा है।
  • वर्ष 2019 और 2021 के बीच खाद्य असुरक्षा में लैंगिक अंतराल दोगुने से अधिक हो गया है।

प्रमुख सिफारिशें

  • विपणन प्रतिबंधों, अनिवार्य फ्रंट-ऑफ़-पैक लेबलिंग और कर आरोपण के माध्यम से अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के सेवन से सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए।
  • आटा, खाना पकाने के तेल और नमक जैसे नियमित रूप से उपभोग किए जाने वाले खाद्य पदार्थों का बड़े पैमाने पर फूड फोर्टिफिकेशन सुनिश्चित करने की जरुरत है।
  • किशोरियों और महिलाओं के सबसे सुभेद्य वर्ग की सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों (नकदी हस्तांतरण व वाउचर सहित) तक पहुंच का विस्तार करना ।
  • बाल विवाह तथा भोजन और घरेलू संसाधनों आदि के आसमान वितरण जैसे विभेदकारी लैंगिक और सामाजिक मानदंडों को समाप्त करने की जरूरत है।

कुपोषण दूर करने के लिए उठाए गए कदम

  • सरकार समेकित बाल विकास सेवा योजना (ICDS) नामक अंब्रेला योजना के तहत आंगनवाड़ी सेवाएं, प्रधान मंत्री मातृ वंदना योजना और किशोरियों के लिए योजना चला रही है।
  • कुपोषण और संबंधित रोगों की रोकथाम के लिए आयुष पद्धतियों का उपयोग किया जा रहा है।
  • कामकाजी और बीमार महिलाओं के बच्चों के लिए क्रेच ( शिशु सदन) सुविधा उपलब्ध कराई गई है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन चलाया जा रहा है
  • फूड फोर्टिफिकेशन कार्यक्रम शुरू किया गया है। पोषण अभियान चलाया जा रहा है।

भारत में अल्पपोषण की स्थिति

  • वर्ष 2022 में जारी संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2019 -21 में कुल आबादी में अल्पपोषण का स्तर 3 प्रतिशत था ।
  • वर्ष 2022 के ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत 121 देशों में 107वें स्थान पर था ।
  • NFHS-5 के अनुसार भारत में पाँच वर्ष से कम आयु के लगभग एक तिहाई बच्चे अल्पवजनी और ठिगने हैं तथा 67 प्रतिशत बच्चे (6-59 महीने की आयु) एनीमिया से पीड़ित हैं ।

स्रोत – डाउन टू अर्थ

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