प्रश्न – महिलाओं का सशक्तिकरण जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने की कुंजी है।” चर्चा कीजिए। – 1 July 2021
उत्तर –
जनसंख्या नियंत्रण लगभग सभी प्रजातांत्रिक विकासशील देशों के लिए एक गंभीर चुनौती रही है। वृहद् जनसंख्या और इसके तीव्र वृद्धि के कारण विकास हेतु किये जा रहे प्रयासों के लाभ प्राय: दृष्टिगत नहीं हो पाते और नीति-निर्धारकों के लिए एक जटिल चुनौती बनती जा रही है। वर्ष 1994 तक विकासशील देशों की कुल जनसँख्या लगभग 4.5 अरब के आस-पास थी। जनसंख्या वृद्धि की विकट समस्या के निदान के लिए देशों की सरकारों ने परिवार नियोजन नीति पर विशेष बल दिया, जिससे वृद्धि की दर पर रोक लगाया जा सकें। विभिन्न नीतियों के कियान्वयन के परिणामत: गर्भ निरोधक के उपयोग में पर्याप्त वृद्धि देखी गयी। फलस्वरूप कुल प्रजनन दर में प्रभावकारी कमी भी देखने को मिली।
यह आश्चर्यजनक है कि प्रजनन में इस बड़े परिवर्तन के बावजूद जनसँख्या में वृद्धि का अबाध क्रम चलता रहा। भारत में जनसँख्या 1991 में 86. 64 करोड़ से बढ़ कर 2001 तक 2001 में 102.87 करोड़ तथा वर्ष 2011 में यह 120. 20 करोड़ तक पहुंच गयी।
उल्लेखनीय है कि प्रजनन दर में कमी के बावजूद जनसंख्या वृद्धि का प्रमुख कारण किशोरियों का प्रजनक वर्ग में प्रवेश तथा महिलाओं की निम्न सामाजिक स्थिति के साथ निर्णयन में कम भागीदारी है। इसके साथ ही बेहतर स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाए, जमीनी स्तर पर शासन में महिलाओं की भागीदारी तथा परिवार नियोजन कार्यक्रमों तक उनकी पहुँच की कमी के कारण भी जनसंख्या नियंत्रण प्रभावी नहीं हो सका।
जनसंख्या वृद्धि की रोकथाम में सशक्तिकरण की भूमिका –
- गर्भ निरोधकों के उपयोग हेतु आज भी अधिकांश महिलाएं परिवार के बड़ों परिजनों की इच्छा पर निर्भर होती है। सशक्तिकरण, महिलाओं को परिवार के आकार के बारे में निर्णय हेतु सशक्त बनाएगा।
- आर्थिक सशक्तिकरण महिलाओं को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के उपयोग हेतु भुगतान में सक्षम बनाएगा।
- दो – बच्चे मानदंड, सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा, बालिका शिक्षा पर विशेष बल, आर्थिक समानता व बेहतर स्वास्थ्य देखभाल के परिणामस्वरूप हुए सशक्तिकरण से जनसंख्या वृद्धि नियंत्रण को बल मिलेगा।
- सशक्तिकरण द्वारा प्रथम संतान को जन्म देने के समय, बच्चों के जन्म में अंतर तथा विवाह की आयु में स्वनिर्णयन के द्वारा भी जनसंख्या वृद्धि नियंत्रण संभव होगी।
महिलाओं के लिए अवसरों की प्रचुरता, माता-पिता के लिए बालिकाओं में निवेश का मार्ग खोलती हैं। इस प्रकार सशक्तिकरण, विवाहोपरांत किसी महिला को यौन-क्रिया से मना करने, सापेक्षिक शक्तिहीनता, महिला यौन-संचारी रोगों तथा अवांछित गर्भ निर्धारण के लिए मजबूत बनाती है।