लक्षद्वीप में स्थापित होगा महासागर तापीय ऊर्जा रूपांतरण (OTEC) संयंत्र
हाल ही में लक्षद्वीप में महासागर तापीय ऊर्जा रूपांतरण (OTEC) संयंत्र स्थापित किया जा रहा है ।
राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान, कवरत्ती में एक OTEC संयंत्र स्थापित कर रहा है। यह पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संस्थान है।
भारत में OTEC की कुल अनुमानित क्षमता 180,000 मेगावाट है।
OTEC समुद्री सतही जल और गहरे समुद्री जल के बीच तापमान में अंतर (ताप प्रवणता/thermal gradients) का उपयोग करके ऊर्जा उत्पादन की एक प्रक्रिया है। सूर्य की ऊर्जा महासागर के सतही जल को गर्म करती है। उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में, सतही जल गहरे जल की तुलना में अधिक गर्म हो सकता है।
OTEC प्रणाली बिजली पैदा करने के लिए एक टरबाइन को ऊर्जा प्रदान करने हेतु तापमान में अंतर (कम से कम 77 डिग्री फारेनहाइट) का उपयोग करती है।
गर्म सतह के जल को एक वाष्पीकरण मशीन से पंप किया जाता है। इस मशीन में क्रियाशील तरल होता है। वाष्पीकृत द्रव एक टरबाइन/जनरेटर चलाता है।
इस वाष्पीकृत द्रव को कंडेनसर में वापस तरल में बदल दिया जाता है। इस कंडेनसर को समुद्र के ठंडे जल से ठंडा किया जाता है ।
OTEC के लाभः
भारत की भौगोलिक स्थिति इस प्रक्रिया के अनुकूल है,यह तकनीक पर्यावरण के अनुकूल है,यह हमेशा उपलब्ध रहेगी आदि।
OTEC से संबंधित चुनौतियां:
- जैव-दूषण (Bio-fouling) में वृद्धि करती है। शैवाल, सूक्ष्मजीवों, पादपों आदि का अनावश्यक रूप से जमा होने को जैव-दूषण कहा जाता है।
- इस संयंत्र के संचालन के लिए अधिक पूंजी की जरूरत पड़ती है,समद्री जीवों के पर्यावास में बाधा उत्पन्न होती है आदि।
स्रोत –द हिन्दू