महादेई वन्यजीव अभयारण्य
हाल ही में बॉम्बे उच्च न्यायालय ने गोवा सरकार को 24 जुलाई, 2023 से 3 माह के अंदर ‘महादेई वन्यजीव अभयारण्य’ और इसके आसपास के क्षेत्रों को ‘वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972’ के अंतर्गत बाघ रिज़र्व के रूप में अधिसूचित करने का निर्देश दिया है।
ज्ञातव्य हो कि बहुत समय से पर्यावरणविदों और संरक्षणवादियों द्वारा इसकी मांग की जा रही थी। यह बाघ संरक्षण प्रयासों के लिये एक महत्त्वपूर्ण निर्णय है, इसका वन्यजीव संरक्षण तथा वनवासियों पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा ।
विदित हो कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की अनुसंसा पर वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 38V के प्रावधानों के अनुसार राज्य सरकारों द्वारा बाघ अभयारण्यों को अधिसूचित किया जाता है।
महादेई वन्यजीव अभयारण्य
महादेई वन्यजीव अभयारण्य गोवा के उत्तरी भाग, संगुएम तालुका में वालपोई शहर के पास स्थित है।
गोवा की जीवन रेखा कही जाने वाली , महादेई नदी, कर्नाटक से निकलती है जोअभयारण्य से होकर गुज़रती है तथा पणजी में अरब सागर में मिलती है।
अभयारण्य महादेई नदी के लिये जलग्रहण क्षेत्र के रूप में कार्य करता है। इस क्षेत्र में वज़रा सकला झरना और विरदी झरना सहित सुरम्य झरने पाए जाते हैं।
यह वज़रा फॉल्स के पास गंभीर रूप से लुप्तप्राय लंबी चोंच वाले गिद्धों के घोंसले के लिये जाना जाता है।
घने नमी वाले पर्णपाती वनों और कुछ सदाबहार प्रजातियों के साथ विविध परिदृश्य।
यह दुर्लभ और स्वदेशी संरक्षित वृक्षों के उपवनों के लिये उल्लेखनीय है ।
भारतीय गौर, बाघ, बार्किंग हिरण, सांभर हिरण, जंगली सूअर, भारतीय खरगोश और कई जीवों के साथ समृद्ध जैव-विविधता।
विभिन्न प्रकार के साँपों की उपस्थिति के कारण यह पशु चिकित्सकों को आकर्षित करता है, जिनमें ‘बड़े चार’ विषैले साँप- भारतीय क्रेट, रसेल वाइपर, सॉ-स्केल्ड वाइपर और स्पेक्टैकल्ड कोबरा शामिल हैं।
मालाबार तोता और रूफस बैबलर जैसी कई पक्षी प्रजातियों के कारण इसे अंतर्राष्ट्रीय पक्षी क्षेत्र नामित किया गया है।
यह गोवा में बाघ संरक्षण के लिये एक महत्त्वपूर्ण आवास का प्रतिनिधित्व करता है।
गोवा की तीन सबसे ऊँची चोटियाँ: सोंसोगोर (1027 मीटर), तलावचे सदा (812 मीटर) और वागेरी (725 मीटर)।
स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस