मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम – विश्व मलेरिया दिवस
हाल ही में विश्व मलेरिया दिवसके अवसर परकेंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने, मलेरिया उन्मूलन पर आयोजित कार्यक्रम “रीचिंग जीरो” की अध्यक्षता की है।
विदित हो कि प्रतिवर्ष 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा विश्व मलेरिया दिवस 2021की थीम “रीचिंग जीरो मलेरिया टारगेट” (Reaching the zero malaria target) रखी गई है।
विश्व मलेरिया दिवस समारोह का मुख्य उद्देश्य वैश्विक समुदाय और सभी प्रभावित देशों को मलेरिया उन्मूलन के लिए प्रेरित करना है।
मुख्य तथ्य:
- मलेरिया विकासशील देशों की प्रमुख बीमारी है|भारत भी इस बीमारी से अछूता नहीं है|वर्ष 2016 की विश्व मलेरिया रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण–पूर्व एशियाई क्षेत्र में मलेरिया के समूर्ण मामलों का 89प्रतिशत भाग भारत का ही है।
- जबकि भारत के पड़ोसी देश मालदीव वर्ष 2015 में तथा श्रीलंका वर्ष 2016 में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा मलेरिया मुक्त घोषित कर दिये गए हैं।
- भारत से मलेरिया बीमारी के उन्मूलन की प्रतिबद्धता इस बात से भी पता चलती है किभारत के प्रधानमंत्री ने वर्ष 2015 में मलेशिया में आयोजित पूर्वी एशिया शिखर बैठक में “एशिया प्रशांत नेतृत्व मलेरिया गठबंधन” की मलेरिया उन्मूलन कार्य योजना का समर्थन किया था।
- शिखर सम्मेलन में “एशिया प्रशांत नेतृत्व मलेरिया गठबंधन” के सभी नेताओं ने एशिया प्रशांत क्षेत्र से वर्ष 2030 तक मलेरिया मुक्त होने का संकल्प लिया था।
- भारत सरकार द्वारामलेरिया उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय रणनीतिक योजना (2017-2022) लागू की गई है,जिसके भारत को बहुत सकारात्मक परिणाम प्राप्त हुए हैं।
- भारत सरकार की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2015 की तुलना में 2020 में मलेरिया के रोगियों में 84.5 प्रतिशत की कमी और मृत्यु दर में 83.6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है ।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन की मलेरिया रिपोर्ट -2020 के अनुसार भारत एकमात्र ऐसा देश है जिसने वर्ष 2018 की तुलना में वर्ष 2019 में 17.6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की है।
- वर्ष 2000 से 2019 में भारत ने रोगियों की संख्या में 83.34 प्रतिशत की कमी और मृत्यु दर के मामलों में 92 प्रतिशत कमी लाने में सफलता अर्जित कर ली है।
- इस वजह से भारत ने सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों (MDGs) के6वें लक्ष्य (वर्ष 2000 से 2019 के बीच मलेरिया के मामलों में 50 से 75 प्रतिशत की गिरावट लाना) को भी प्राप्त कर लिया है।
- भारत के मलेरिया से अत्यधिक प्रभावित छत्तीसगढ़केबस्तरक्षेत्रमेंभी मलेरियामुक्तअभियानकोसफलतापूर्वकलागू किया गया है |
- इस तरह सरकार का कहना है कि ,सक्रिय सामुदायिक भागीदारी और तीव्र अंतर-क्षेत्रीय समन्वय के साथ, भारत 2030 तक मलेरिया उन्मूलन लक्ष्य को प्राप्त कर लेगा ।
“मलेरिया उन्मूलन के लिये राष्ट्रीय रणनीति योजना (2017-2022)”
- भारत को मलेरिया मुक्त बनाने के लिये स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा “मलेरिया उन्मूलन के लिये राष्ट्रीय रणनीति योजना (2017-2022)” लागू की थी ।
- इस योजना के अंतर्गत देश के संपूर्ण जिलों को चार श्रेणियों (0 से 3 तक) में विभाजित किया गया है ।इसमें श्रेणी-0 में वे ज़िले हैं, जिनमें पिछले तीन वर्षों से मलेरिया का कोई मामला नहीं प्राप्त हुआ है ।
- इसी तरह श्रेणी 1,2 और 3 के जिलों को मलेरिया के बढ़ते मामलों के आधार पर विभाजित किया है ।श्रेणी -1 और श्रेणी -2 के ज़िलों को 2022 तक मलेरिया मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है ।
भारत में मलेरिया परजीवी
- भारत में मलेरिया मुख्यतः दो परजीवियों प्लाज्मोडियम विवेक्स (Pv) एवं प्लाज्मोडियम फेल्सीपेरम (Pf) द्वारा होता है ।
- प्लाज्मोडियम फेल्सीपेरम परजीवी मुख्यतः वन क्षेत्रों में तथा प्लाज्मोडियम विवेक्स परजीवी मैदानी क्षेत्रों में अधिक पाया जाता है ।
- भारत के प्रमुख मलेरिया प्रभावित राज्यमध्य प्रदेश,छत्तीसगढ़ ,झारखण्ड ,ओड़िसा, त्रिपुरा, मिजोरम और मेघालय हैं|
स्रोत – पी आई बी