मरुस्थलीकरण की रोकथाम पर COP-15 सम्मेलन का आयोजन
हाल ही में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने मरुस्थलीकरण की रोकथाम पर COP-15 सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया है ।
संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण रोकथाम अभिसमय (UNCCD) के पक्षकारों के सम्मेलन (COP-15) का 15वां सत्र कोटे डी आइवर के आबिदजान में शुरू हो गया है।
COP15 की थीम है, “भूमि–जीवन–विरासत: अभाव से समृद्धि की ओर” (Land- Life- Legacy: From scarcity to prosperity).
यह थीम यह सुनिश्चित करने हेतु कार्रवाई का आह्वान करती है कि भूमि (जो इस ग्रह की जीवनरेखा है) वर्तमान और भावी पीढ़ियों को लाभ प्रदान करती रहे।
COP-15 में UNCCD के 197 पक्षकार सूखा, भूमि पुनसुधार और इससे संबंधित विषयों जैसे भूमि अधिकार, लैंगिक समानता तथा युवा सशक्तीकरण जैसे मुद्दों पर चर्चा करेंगे।
COP15, सरकारों, निजी क्षेत्र व सिविल सोसाइटी के नेतृत्वकर्ताओं और दुनिया भर के अन्य प्रमुख हितधारकों को एक मंच पर लाएगा। ये भविष्य में भूमि के सतत प्रबंधन की प्रगति में तेजी लाने पर विचार करेंगे।
वर्ष 2019 में, भारत ने UNCCD के COP-14 की मेजबानी की थी।
COP-14 सम्मेलन में भारत ने वर्ष 2030 तक 26 मिलियन हेक्टेयर निम्नीकृत भूमि की पुनर्बहाली का लक्ष्य निर्धारित किया था।
COP-14 की थीम “भूमि की पुनर्बहाली, भविष्य की सततता” (Restore land] Sustain future) थी। संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण रोकथाम अभिसमय (UNCCD) को वर्ष 1994 में अपनाया गया था। इसका उद्देश्य हमारी भूमि की रक्षा और पुनसुधार एवं एक सुरक्षित, न्यायसंगत तथा अधिक सतत भविष्य सुनिश्चित करना है।
यह मरुस्थलीकरण और सूखे के दुष्प्रभावों को दूर करने के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी एकमात्र अंतर्राष्ट्रीय समझौता है। यह शुष्क, अर्द्ध-शुष्क और शुष्क उप-आर्द्र क्षेत्रों (जिन्हें शुष्क भूमि के रूप में जाना जाता है) की समस्याओं के समाधान पर बल देता है। इन क्षेत्रों में विश्व के कुछ सबसे नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र और सुभेद्य लोग पाए जाते हैं।
इसका स्थायी सचिवालय जर्मनी के बॉन में स्थित है।
भारत और UNCCD
- भारत UNCCD का एक हस्ताक्षरकर्ता देश है।
- पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत में इस अभिसमय के कार्यान्वयन का नोडल मंत्रालय है। यह मंत्रालय देश में इस अभिसमय के कार्यान्वयन की निगरानी करता है।
स्रोत –द हिन्दू