मनरेगा योजना का वेतन अब श्रेणियों के आधार पर वितरित होगा

मनरेगा योजना का वेतन अब श्रेणियों के आधार पर वितरित होगा

हाल ही में केंद्र सरकार ने राज्यों से इस वित्तीय वर्ष से ‘महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम’ (MGNREGA) योजना के अंतर्गत दिए जाने वाले वेतन को अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य जातियों के लिए अलग-अलग श्रेणियों में विभाजित कर बांटने को कहा है।

विदित हो कि वर्तमान में, मनरेगा योजना के तहत मजदूरी भुगतान हेतु केवल एक प्रणाली है, अर्थात् मजदूरी भुगतान के लिए कोई श्रेणीवार वितरण प्रक्रिया नहीं है।

इस निर्णय के पीछे तर्क

  • सरकार का कहना है कि इस नई भुगतान प्रक्रिया से बजटीय परिव्यय से, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों को प्राप्त होने वाले लाभों का आकलन करने और उन्हें उजागर करने में मदद मिलेगी ।
  • इस निर्णय का उद्देश्य काफी हद तक, केंद्र सरकार द्वारा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों के लिए किए जा रहे कार्यो पर प्रकाश डालना है।

इस निर्णय के विरुद्ध चिंताएँ

  • इससे भुगतान प्रणाली और जटिल हो सकती है।
  • इससे योजना के वित्त पोषण में कमी आ सकती है।
  • इससे वेतन भुगतान में देरी हो सकती है।
  • इससे मनरेगा कार्यक्रम को एससी/एसटी की अधिक आबादी वाले जिलों तक भी सीमित किया जा सकता है।

मनरेगा (MGNREGA) योजना

  • भारत सरकार द्वारा वर्ष 2005 में ‘राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम’ अर्थात् नरेगा (NREGA) कार्यक्रम लागू किया गया था। इसी योजना को वर्ष 2010 में ‘महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम’, मनरेगा (MGNREGA) के नाम से जाना गया।
  • ‘मनरेगा’ रोज़गार की कानूनी स्तर पर गारंटी देने वाला विश्व का सबसे बड़ा सामाजिक कल्याणकारी कार्यक्रम है। यह ग्रामीण भारत को ‘श्रम की गरिमा’ से परिचित कराता है ।
  • मनरेगा कार्यक्रम के तहत प्रत्येक भारतीय परिवार के अकुशल श्रम करने के इच्छुक वयस्क सदस्यों के लिये 100 दिन का रोज़गार एवं 5 किमी. से अधिक दूरी की दशा में दैनिक बेरोज़गारी भत्ता एवं परिवहन भत्ता का प्रावधान भी किया गया है।
  • लेकिन सूखाग्रस्त क्षेत्रों और जनजातीय क्षेत्रों में मनरेगा के अंतर्गत 150 दिवसों के गारंटीयुक्त रोज़गार का प्रावधान है।
  • यह एक राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम है । इस कार्यक्रम में पूर्णरूप से शहरों की श्रेणी में आने वाले कुछ जिलों को छोड़कर देश के सभी जिलें शामिल हैं। मनरेगा के अंतर्गत मिलने वाले वेतन के निर्धारण का अधिकार केंद्र एवं राज्य सरकारों के पास निहित है।
  • जनवरी 2009 से केंद्र सरकार सभी राज्यों हेतु अधिसूचित की गई मनरेगा मजदूरी दरों को हर वर्ष संशोधित करती है।

स्रोत : पीआईबी

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