महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा योजना)
हाल ही में एक रिपोर्ट के अनुसार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम मनरेगा योजना के तहत कोष उपलब्ध नहीं है।
- ध्यातव्य है कि 21 राज्यों ने मनरेगा योजना के अंतर्गत नकारात्मक निवल शेष दर्शाया है। इनमें आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल की स्थिति सबसे खराब है।
- योजना के लिए वर्ष 2021-22 के बजट का मात्र 73,000 करोड़ रुपये निर्धारित किया गया था। यदि चालू बजटीय वर्ष में कोष समाप्त हो जाता है, तो अनुपूरक बजटीय आवंटन का प्रावधान किया गया था।
- ध्यातव्य है कि 29 अक्टूबर तक, देय भुगतान सहित कुल व्यय पहले ही 79,810 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था।
- हालांकि, अनुपूरक बजट आवंटन तभी जारी कियाजा सकता है जब आगामी संसदीय सत्र प्रारंभ होगा।
मनरेगा योजना से संबद्ध अन्य मुद्दे
- योजना के तहत काम की मांग करने वाले 13% परिवारों को काम नहीं दिया गया था।
- एक नए अध्ययन में यह पाया गया है कि 71% लेन-देनों के लिए निर्धारित सात दिनों से अधिक, और 14% लेन-देनों के लिए निर्धारित 30 दिनों से अधिक तक मजदूरी भुगतान में विलंब हुआ है।
- मनरेगा योजना एक मांग आधारित कार्यक्रम है। यह किसी भी ग्रामीण परिवार को 100 दिनों के अकुशल कार्य की गारंटी प्रदान करता है।
- मनरेगा अधिनियम ग्रामीण परिवारों को कार्य करने का अधिकार प्रदान करता है, एवं राज्य के लिए उन्हें मांग पर कार्य देना अनिवार्य बनाता है।
- विगत वर्ष कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान, इस योजना है को अंततः 1.11 लाख करोड़ रुपये का उच्चतम बजट आवंटित किया गया था और रिकॉर्ड 11 करोड़ श्रमिकों को एक महत्वपूर्ण जीवन रेखा प्रदान की गई थी।
स्रोत – द हिन्दू