संसद की स्थायी समिति द्वारा ‘मनरेगा’ की कार्यप्रणाली पर रिपोर्ट जारी

संसद की स्थायी समिति द्वारा ‘मनरेगा’ की कार्यप्रणाली पर रिपोर्ट जारी

हाल ही में ग्रामीण विकास और पंचायती राज पर संसद की स्थायी समिति ने ‘मनरेगा’ की कार्यप्रणाली पर रिपोर्ट जारी की है।

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम अर्थात् मनरेगा को भारत सरकार द्वारा वर्ष 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम, 2005 (NREGA) के रूप में प्रस्तुत किया गया था।

वर्ष 2010 में नरेगा (NREGA) का नाम बदलकर मनरेगा (MGNREGA) कर दिया गया। यह दुनिया के सबसे बड़े कार्य गारंटी कार्यक्रमों में से एक है।

योजना का प्राथमिक उद्देश्य किसी भी ग्रामीण परिवार के सार्वजनिक कार्य से संबंधित अकुशल शारीरिक कार्य करने के इच्छुक वयस्क सदस्यों को प्रत्येक वित्तीय वर्ष में 100 दिनों के रोज़गार की गारंटी देना है।

वर्ष 2022-23 तक मनरेगा के तहत 15.4 करोड़ सक्रिय श्रमिक हैं। सूखा/प्राकृतिक आपदा के दौरान अधिसूचित ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य दिवस को बढ़ाकर 150 दिन किया जा सकता है।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

मनरेगा की प्रमुख चुनौतियाँ

  • मनरेगा में निधि आवंटन में कमी होने से कार्य बाधित होने की समस्या ।
  • पारिश्रमिक के भुगतान और सामग्री के लिए निधि जारी करने में देरी से जरूरतमंद लाभार्थी के हतोत्साहित होने की समस्या ।
  • मोबाइल ऐप ‘नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम के माध्यम से शुरू की गई नई अटेंडेंस प्रणाली के लिए स्मार्टफोन एवं इंटरनेट कनेक्टिविटी जरूरी हो गए हैं।
  • श्रमिकों को मोबाइल ऐप प्रणाली में भाषाई बाधाओं का भी सामना करना पड़ता है, इसलिए किसी अन्य व्यक्ति की मदद लेनी पड़ती है।
  • अलग-अलग राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों में मनरेगा के तहत दी जा रही मजदूरी में विषमता मौजूद है।

समिति की प्रमुख सिफारिशें:

  • ग्रामीण विकास विभाग (DoRD) को मनरेगा के तहत रोजगार की मांग के संबंध में जमीनी स्थिति का आकलन करना चाहिए। साथ ही, अपेक्षित धन के आवंटन की मांग के लिए वित्त मंत्रालय के साथ समन्वय करना चाहिए ।
  • प्रभावी उपायों और राज्यों के साथ बेहतर समन्वय द्वारा मजदूरी व सामग्री में केंद्र के हिस्से को समय पर जारी करना सुनिश्चित करना चाहिए ।
  • जमीनी वास्तविकता तथा मनरेगा श्रमिकों के सामने आने वाली चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए अटेंडेंस ऐप के कार्यान्वयन की समग्र रूप से समीक्षा करने की जरूरत है ।
  • पूरे देश में एक समान मजदूरी दर अधिसूचित करनी चाहिए और इसे एक उपयुक्त मूल्य सूचकांक से जोड़ा जाना चाहिए ।

स्रोत – द प्रिंट

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