मध्याह्न भोजन योजना में मोटे अनाज के उपयोग का सुझाव
हाल ही में सरकार ने मध्याह्न भोजन योजना (Mid-Day Meals) में मोटे अनाज (millets) के उपयोग का सुझाव दिया है।
केंद्र सरकार ने राज्यों से मध्याह्न भोजन योजना में मोटे अनाज का उपयोग शुरू करने की संभावना पर विचार करने का आह्वान किया है। इसे अब पी.एम. पोषण (प्रधान मंत्री पोषण शक्ति निर्माण) योजना के रूप में जाना जाता है।
- पी.एम. पोषण के तहत, केंद्र खाद्यान्न और उनके परिवहन का खर्च वहन करता है। जबकि भोजन सूची भिन्न-भिन्न राज्यों में अलग-अलग होती है, किंतु बच्चों को व्यापक पैमाने पर चावल और गेहूं आधारित व्यंजन परोसे जाते हैं।
- इस योजना के तहत आकांक्षी जिलों और उच्च रक्ताल्पता वाले जिलों में पूरक पोषण का भी प्रावधान किया गया है।
- ज्वार, बाजरा और रागी सहित मोटे या पोषक अनाज, खनिजोंएवं बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन के साथ-साथ प्रोटीन व एंटी-ऑक्सीडेंट में भी समृद्ध होते हैं। ये पोषक तत्व उन्हें बच्चों के पोषण संबंधी परिणामों में सुधार के लिए एक आदर्श विकल्प बनाते हैं।
- भारत में 1960 के दशक से मोटे अनाज के उत्पादन क्षेत्र में 60% की गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि, उच्च उपज देने वाली किस्मों और बेहतर उत्पादन प्रौद्योगिकियों को अपनाने के कारण इन फसलों की उत्पादकता (किलोग्राम/ हेक्टेयर में) वृद्धि हुई है।
- गिरावट के मुख्य कारणों में कम पारिश्रमिक, इनपुटसब्सिडी और मूल्य प्रोत्साहन की कमी, सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के माध्यम से अनाज की सब्सिडी आधारित आपूर्ति तथा उपभोक्ता वरीयताओं में बदलाव शामिल हैं।
स्रोत – द हिन्दू