मच्छरों के विकास को नियंत्रित करने के लिए क्रिस्पर तकनीक (CRISPR)

मच्छरों के विकास को नियंत्रित करने के लिए क्रिस्पर तकनीक (CRISPR)

क्रिस्पर-आधारित जेनेटिक इंजीनियरिंग में हालिया प्रगति का लाभ उठाते हुए, शोधकर्ताओं ने एक ऐसी प्रणाली बनाई है जो मच्छरों की आबादी को रोकती है जो हर साल लाखों लोगों को दुर्बल करने वाली बीमारियों से संक्रमित करती है।

नर मच्छरों में प्रजनन जीन को संशोधित करने के लिए सटीक-निर्देशित बाँझ कीट तकनीक (precision-guided sterile insect technique) (pgSIT) का प्रयोग किया जाता है , जिससे मच्छरों की आने वाली संततियां बाँझ पैदा होती हैं।

इसके अलावा, यह तकनीक मादा एडीज एजिप्टी में उड़ान से जुड़े जीन को भी बदल देती है, जो डेंगू, चिकनगुनिया और जीका जैसी बीमारियों के करक है।

मुख्य बिंदु:

  • सटीक-निर्देशित बाँझ कीट प्रौद्योगिकी (pgSIT) नर मच्छरों और उड़ान रहित मादा मच्छरों को नपुंसक बनाने के लिए क्रिस्पर तकनीक का उपयोग करती है। यह प्रणाली स्व-नियंत्रित है, और न तो फैलती है और न ही वातावरण में रहती है। इस तरह, इन दोनों सुरक्षा से लैस इस सुविधा को इस तकनीक के उपयोग के लिए सबसे सटीक और लोकप्रिय कहा जा सकता है।
  • वैज्ञानिकों का कहना है कि पीजीएसआईटी के अंडों को मच्छर जनित बीमारी के खतरे वाले स्थान पर भेजा जा सकता है या एक ऐसी स्थलों पर विकसित किया जा सकता है जो आस-पास की तैनाती के लिए अंडे का उत्पादन कर सके। एक बार जब pgSIT अंडे जंगलो में छोड़े जायेंगे, तो बाँझ pgSIT नर उत्पन्न होंगे और अंततः मादाओं के साथ संभोग करेंगे, इस तरह से मच्छरों की आबादी पर आसानी से लगाम लगाई जा सकेगी।

क्रिस्पर तकनीक

  • जीनोम को संशोधित करने के लिए CRISPR तकनीक एक आसान लेकिन बहुत महत्वपूर्ण तकनीक है। इसके जरिए किसी भी जीव के जीनोम को बदला जा सकता है। जीनोम को बदलकर जीवों में उनके मन के अनुसार कई लक्षण बदले जा सकते हैं।
  • इसके द्वारा जीव के बुद्धि, बल में अभिवृद्धि की जा सकती है, और जीवों को अनेक रोगों से बचाया जा सकता है। इस तकनीक के उपयोग से कई फसलों को और बेहतर बनाया जा सकता है और उनकी उपज को बढ़ाया जा सकता है।
  • वास्तव में CRISPR, DNA में पाये जाने वाले ख़ास खंड होते हैं, जबकि Cas9 एक एंजाइम होता है। ये एंजाइम एक कैंची की तरह होता है जिससे DNA में किया जा सकता है।

जीन एडिटिंग के अन्य अनुप्रयोग

  • वैज्ञानिक अनुसंधान में पहले से ही व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले जीन संपादन के साथ, CRISPR-Cas9 को एचआईवी, कैंसर या सिकल सेल रोग जैसी बीमारियों के लिए संभावित जीनोम संपादन उपचार के लिए एक आशाजनक दृष्टिकोण के रूप में भी देखा गया है।
  • कृषि में, यह तकनीक ऐसे पौधों का उत्पादन कर सकती है जो न केवल उच्च पैदावार में प्रभावी होंगे (जैसे कि लिपमैन के टमाटर), बल्कि सूखे और कीटों से बचाने के लिए फसलों में विभिन्न परिवर्तन भी कर सकते हैं जिससे आने वाले वर्षों में फसलों को नुकसान से बचाया जा सके।
  • कैलिफोर्निया में विश्व के पहले जीन-संपादन परीक्षण में, एचआईवी के लगभग 80 रोगियों के रक्त से एचआईवी प्रतिरक्षा कोशिकाओं को जिंक-फाइबर न्यूक्लीज (जेडएफएन) नामक एक अलग तकनीक का उपयोग करके हटा दिया गया। चीन में शोधकर्ताओं ने एक दोषपूर्ण जीन को ठीक करने की कोशिश करने के लिए एक मानव भ्रूण को संपादित किया, जो रक्त विकार का कारण बनता है।
  • चिकित्सा क्षेत्र में, जीन संपादन का उपयोग संभावित आनुवंशिक रोगों जैसे हृदय रोग और कुछ प्रकार के कैंसर, या दुर्लभ विकार के इलाज के लिए किया जा सकता है जो दृष्टि हानि या अंधापन का कारण बन सकता है।

स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस

Download Our App

More Current Affairs

Share with Your Friends

Join Our Whatsapp Group For Daily, Weekly, Monthly Current Affairs Compilations

Related Articles

Youth Destination Facilities

Enroll Now For UPSC Course