नासा के पर्सीवरेंस रोवर को मंगल ग्रह पर कार्बनिक पदार्थ के सबूत प्राप्त हुए  

नासा के पर्सीवरेंस रोवर को मंगल ग्रह पर कार्बनिक पदार्थ के सबूत प्राप्त हुए  

हाल ही में पर्सीवरेंस रोवर पर लगे “स्कैनिंग हैबिटबल एनवायरनमेंट्स विद रमन एंड ल्यूमिनसेंस फॉर ऑर्गेनिक्स केमिकल्स ( SHERLOC) नामक उपकरण की मदद से मंगल ग्रह के जेजेरो क्रेटर में कार्बनिक अणु (Organic molecules) को खोजा गया है ।

पर्सीवरेंस रोवर पर लगे “स्कैनिंग हैबिटबल एनवायरनमेंट्स विद रमन एंड ल्यूमिनसेंस फॉर ऑर्गेनिक्स केमिकल्स दिन और रात, दोनों समय कार्य करता है ।

यह कार्बनिक पदार्थों और खनिजों का पता लगाने के लिए अल्ट्रावायलेट लेजर प्रकाश का उपयोग करता है।

इस प्रक्रिया में यह रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी का उपयोग करता है । यह अणुओं पर प्रकाश बिखेरता है तथा अलग-अलग फ्रीक्वेंसी पर प्रकीर्णित प्रकाश को मापता है। जिससे यह पता चल पाता है कि प्राप्त नमूने में कौन-कौन से यौगिक मौजूद हैं।

इससे पहले, वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह के मूल के कई प्रकार के कार्बनिक अणुओं का पता लगाया था – ब्रह्मांडीय प्रभावों से मंगल ग्रह से नष्ट हुए उल्कापिंडों में, जो पृथ्वी पर गिरे थे, और लाल ग्रह पर गेल क्रेटर में, जिसे नासा का क्यूरियोसिटी रोवर 2012 से खोज रहा है।

जेजेरो क्रेटर मंगल ग्रह पर स्थित एक प्राचीन झील बेसिन है । इसमें मंगल ग्रह पर आदिकाल में जीवन होने के प्रमाण मिलने की संभावना है।

नई खोज का महत्त्व: इससे मंगल पर कार्बन चक्र को समझने में मदद मिलेगी। साथ ही, मंगल पर जीवन के संभावित संकेत भी प्राप्त हो सकते हैं ।

कार्बनिक यौगिक कार्बन से बने अणु होते हैं, और अक्सर इसमें हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और सल्फर जैसे अन्य तत्व शामिल होते हैं। कार्बनिक पदार्थ विभिन्न प्रक्रियाओं से बन सकते हैं, न कि केवल जीवन से संबंधित प्रक्रियाओं से।

भूवैज्ञानिक प्रक्रियाएं और रासायनिक रिएक्शंस भी कार्बनिक अणुओं का निर्माण कर सकती हैं, और ये प्रक्रियाएं इन संभावित मंगल ग्रह के जीवों की उत्पत्ति के लिए अनुकूल हैं।

अब तक, केवल मार्स फीनिक्स लैंडर और क्यूरियोसिटी रोवर ही ऑर्गेनिक कार्बन का पता लगाने में सफल रहे हैं। जिसके लिए इवॉल्व्ड गैस एनालिसिस और गैस क्रोमैटोग्राफी – मास स्पेक्ट्रोमेट्री जैसी तकनीकों का उपयोग किया गया था ।

विभिन्न देशों के मंगल मिशन हैं:

  • मंगलयान (भारत)
  • होप(संयुक्त अरब अमीरात)
  • तियानवेन -1 (चीन)
  • मार्स एक्सप्रेस (यूरोपियन स्पेस एजेंसी)
  • मार्स रिकोनिसेंस ऑर्बिटर, मार्स ओडिसी (नासा) ।

स्रोत – द हिन्दू

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