मंकी बी वायरस

मंकी बी वायरस

हाल ही में चीन में ‘मंकी बी वायरस’ (Monkey B virus) से मानव के संक्रमित होने का सबसे पहला मामला देखा गया  है।

मंकी बी वायरस के विषय में:

  • ‘मंकी बी वायरस’ मैकाक बंदरों में पाया जाने वाला एक तरह का अल्फाहर्पीस वायरस एनज़ूटिक(Alphaherpes virus Enzootic) है, अर्थात यह मूल रूप से इनमें पाया जाता है और सर्वप्रथम इसकी पहचान साल 1932 में की गई थी।
  • अल्फाहर्पीस वायरस रोगजनक या न्यूरोइनवेसिव वायरस मनुष्यों और अन्य कशेरुकियों के परिधीय तंत्रिका तंत्र (Nervous System) को संक्रमित करता हैं।
  • बी वायरस को आमतौर पर हर्पीज बी (Herpes B), हर्पीसवायरस सिमिया (Herpesvirus Simiae) और हर्पीसवायरस बी (Herpesvirus B) के रूप में जाना जाता है।
  • B वायरस सतह (खासकर नम सतह) पर घंटों तक जीवित रह सकता है।

संचरण:

मानवों में यह वायरस मैकाक बंदरों के काटने, खरोंचने या संक्रमित बंदर की लार, मल-मूत्र इत्यादि के संपर्क में आने से फैलता है एवं इसके संक्रमण के कारण होने वाली वाली मृत्यु दर 70 प्रतिशत  से 80 प्रतिशत है।

मानव- से -मानव में संचरण:

अब तक एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में B वायरस के संचरण या प्रसार का केवल एक मामला दर्ज किया गया है।

इसके प्रमुख लक्षण:

इस वायरस के कारण शुरू मेंफ्लू जैसा होता हैं, जैसे- बुखार और ठंड लगना, मांसपेशियों में दर्द, थकान तथा सिरदर्द आदि, जिसके पश्चात संक्रमित व्यक्ति को घाव या शरीर की त्वचा पर छोटे-छाले हो जाते हैं। इस वायरस के प्रारंभिक लक्षणों के पश्चात मांसपेशियों में अकड़न और तंत्रिका संबंधी क्षति होती है।

उपचार:अभी तक  इसका कोई भी टीका उपलब्ध नहीं है जो इसके संक्रमण से बचा सके। पर समय पर एंटीवायरल दवाएँ इसके जोखिम को कम करने में मदद कर सकती हैं।

स्रोत – द हिन्दू

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