राष्ट्रीय विकास के लिए भू–स्थानिक रणनीति रिपोर्ट
- हाल ही में जियोस्मार्ट इंडिया 2022 सम्मेलन में राष्ट्रीय विकास के लिए भू-स्थानिक रणनीति रिपोर्ट (Geospatial Strategy for National Development report) का अनावरण किया गया है।
- यह रिपोर्ट जियोस्पेशियल वर्ल्ड ने तैयार की है। इसमें भारतीय भू-स्थानिक उद्योग से जुड़े अवसरों और चुनौतियों का उल्लेख किया गया है।
- उन सभी तकनीकों को भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी कहा जाता है, जिनका उपयोग भौगोलिक सूचना प्राप्त करने, उसमें बदलाव करने और भंडारित करने के लिए किया जाता है।
- ऐसी तकनीकों के उदाहरण हैं- GIS, GPS, रिमोट सेंसिंग, जियोफेंसिंग आदि ।
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष
- भू-स्थानिक बाजार के वर्ष 2025 तक 16 हजार करोड़ रुपये होने का अनुमान है। वर्ष 2022 और वर्ष 2025 के बीच यह बाजार 10.35% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR ) से विकास करेगा ।
- वर्ष 2022 में वैश्विक नेविगेशन उपग्रह प्रणाली और पोजिशनिंग की बाजार हिस्सेदारी लगभग 59 प्रतिशत होगी।
- इस क्षेत्र के विकास को रक्षा और खुफिया सूचना, शहरी विकास, कृषि तथा भूमि प्रशासन जैसे क्षेत्रक गति प्रदान करेंगे।
- भू-स्थानिक डेटा के लिए दिशा-निर्देश 2021 तथा ड्रोन नियम, 2021 ने भू-स्थानिक डेटा और सूचना को लोकतांत्रिक एवं उदारीकृत बना दिया है।
प्रमुख चुनौतियां: आधुनिक व सटीक जियोडेटिक और टेरेस्ट्रियल पोजिशनिंग आवर्धन (augmentation) अवसंरचना स्थापित करने में देरी इस क्षेत्र के विकास को प्रभावित कर रही है।
- रीयल-टाइम आधार पर डेटा संग्रह और विश्लेषण का अभाव है।
- भू-स्थानिक मानकों का प्रभावी तरीके से कार्यान्वयन नहीं किया जा रहा है।
- अलग-अलग हितधारकों के बीच सहयोग का अभाव है।
सुझाव : भू-स्थानिक औद्योगिक विकास बोर्ड और कोष स्थापित किया जाना चाहिए।
- सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSMEs) और स्थानीय विनिर्माण क्षमताओं की भागीदारी बढ़ाई जानी चाहिए।
- लचीली पोजीशन, नेविगेशन और टाइमिंग (PNT) अवसंरचना विकसित की जानी चाहिए।
- भू – स्थानिक इन्क्यूबेशन केंद्र स्थापित किए जाने चाहिए। इसके अलावा, अनुसंधान एवं विकास पर दीर्घकालिक समझौते को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
स्रोत – द हिन्दू