जल की गुणवत्ता और संदूषण स्तरों की निगरानी हेतु भूजल सेंसर नेटवर्क स्थापित
हाल ही में जल शक्ति मंत्रालय जल की गुणवत्ता और संदूषण स्तरों की निगरानी करने के लिए भूजल सेंसर नेटवर्क स्थापित करने की योजना बना रहा है।
- मंत्रालय की इस योजना का उद्देश्य तालुका स्तर तक भूजल स्तर के साथ-साथ संदूषण की मात्रा के बारे में भी निरंतर जानकारी उपलब्ध कराना है।
- केंद्रीय भूजल बोर्ड की रिपोर्ट लगभग 26 हजार भूजल पर्यवेक्षण कुओं के नेटवर्क पर आधारित होती है। वर्तमान में किसी क्षेत्र में भूजल के स्तर का मापन मैनुअल किया जाता है ।
भूजल सेंसर नेटवर्क स्थापित करने के निम्नलिखित लाभ होंगे:
- भूजल स्तर को भी वायु गुणवत्ता स्तर और मौसम संबंधी चरों (variables) की तरह ही देखा जा सकेगा।
- किसानों को भूजल स्तर का पूर्वानुमान उपलब्ध कराया जा सकेगा । इससे उन्हें बुवाई में मदद मिलेगी।
- भूजल स्तर के बारे में अपडेटेड परामर्श उपलब्ध कराया जा सकेगा। इससे राज्यों को भूजल दोहन संबंधी नीतियां बनाने में सहायता प्राप्त होगी।
- विश्व बैंक के अनुसार, भारत दुनिया का सबसे बड़ा भूजल उपयोगकर्ता देश है । भूजल देश के पेयजल का लगभग 80 प्रतिशत और सिंचाई की दो-तिहाई जरूरतों को पूरी करता है ।
भारत में भूजल प्रशासन के लिए उठाए गए कदम –
- जल शक्ति मंत्रालय का गठन किया गया है। इसका गठन पेयजल और स्वच्छता विभाग के साथ जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग का विलय करके किया गया था ।
- भूजल के प्रभावी प्रबंधन और विनियमन के लिए अटल भूजल योजना तथा राष्ट्रीय जलभृत (aquifer) प्रबंधन परियोजना जैसी पहलें शुरू की गई हैं।
- तीव्र और सटीक जलभृत मानचित्रण के लिए हेली – बोर्न आधारित सर्वेक्षण प्रणाली अपनाई गई है।
- भारत-भूजल संसाधन आकलन प्रणाली (India – Groundwater Resource Estimation System: IN-GRES) सॉफ्टवेयर अपनाया गया है।
- देश भर में भूमिगत जल स्तर की निगरानी करने के लिए जलदूत नामक मोबाइल एप्लिकेशन की शुरुआत की गई है।
स्रोत – द हिन्दू