भुगतान संग्राहक
हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 32 संस्थाओं को भुगतान संग्राहक (Payment Aggregator) का लाइसेंस प्रदान किया है।
- RBI ने भुगतान संग्राहकों और पेमेंट गेटवे को विनियमित करने के लिए 2020 में भुगतान संग्राहक फ्रेमवर्क जारी किया था।
- इस फ्रेमवर्क के तहत पात्र संस्थाओं को भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के तहत प्राधिकार (Authorisation) प्राप्त करने के लिए आवेदन करना आवश्यक था।
- भुगतान संग्राहक और पेमेंट गेटवे ऑनलाइन स्पेस में भुगतान की सुविधा प्रदान करने वाले मध्यवर्ती हैं।
भुगतान संग्राहक-
- ये ऐसी संस्थाएं हैं, जो ई-कॉमर्स साइट्स और व्यापारियों द्वारा ग्राहकों के भुगतान दायित्वों को ‘करने के लिए उनसे अलग-अलग भुगतान साधनों (नकद / चेक, ऑनलाइन भुगतान आदि) को स्वीकार करने की सुविधा प्रदान करती हैं।
- भुगतान संग्राहक (Payment Aggregator) संस्थाएं ग्राहकों से भुगतान प्राप्त करती हैं, उन्हें जमा करती हैं और निर्धारित अवधि के बाद उन्हें व्यापारियों को हस्तांतरित कर देती हैं ।
पेमेंट गेटवे-
- ये ऐसी संस्थाएं होती हैं, जो ऑनलाइन भुगतान लेन-देन की राह और प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए प्रौद्योगिकी आधारित अवसंरचना प्रदान करती हैं ।
- इन संस्थाओं की निधियों के प्रबंधन में कोई भागीदारी नहीं होती है।
भुगतान संग्राहक की स्थापना के लिए RBI द्वारा निर्धारित मुख्य आवश्यकताएं
- ऐसी संस्था कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत एक निगमित कंपनी होनी चाहिए ।
- ऐसी संस्था की नेटवर्थ मार्च 2021 तक 15 करोड़ रुपये और मार्च 2023 तक 25 करोड़ रुपये होनी चाहिए ।
- ग्राहक शिकायत निवारण तंत्र और विवाद प्रबंधन फ्रेमवर्क की स्थापना की जानी चाहिए।
- इनका सार्वजनिक रूप से उल्लेख किया जाना चाहिए। साथ ही, इनके लिए एक नोडल अधिकारी भी नियुक्त किया जाना चाहिए।
स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस