भारत से लाल चंदन की तस्करी
हाल ही में जारी ट्रैफिक (TRAFFIC) फैक्टशीट के अनुसार लाल या रक्त चंदन (Red Sanders) भारत की सबसे अधिक दोहन की जाने वाली वृक्ष प्रजाति है।
ट्रैफिक की स्थापना 1976 में की गई थी। इसे विश्व वन्य जीव कोष (WWF) और अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) ने एक वन्य जीव व्यापार निगरानी नेटवर्क के रूप स्थापित किया था।
इसके कार्य वन्य जीवों के व्यापार पर डेटा संग्रह करना और इस संबंध में सिफारिशें करना है ।
फैक्टशीट के मुख्य निष्कर्ष
CITES ट्रेड डेटाबेस ने लाल चंदन के अवैध व्यापार की जब्ती की 28 घटनाएं दर्ज की है। चीन, लाल चंदन का सबसे बड़ा आयातक बना हुआ है।
यह फैक्टशीट विशेष रूप से आंध्र प्रदेश के चित्तूर, कडप्पा, नेल्लोर और कुरनूल जिलों में लाल चंदन की बड़े पैमाने पर होने वाली गैर-कानूनी कटाई तथा तस्करी से उत्पन्न खतरों को रेखांकित करती है।
लाल चंदन के बारे में
लाल चंदन एक वनस्पति-प्रजाति है। यह पूर्वी घाट में विशेष प्रकार के जंगलों की स्थानिक (endemic) प्रजाति है ।
यह अग्निरोधी और सूखा प्रतिरोधी वृक्ष प्रजाति है ।
इसे स्थानीय रूप से येर्रा चंदनम व रक्त चंदनम के नाम से जाना जाता है।
इसका सैंटालिन प्राप्त करने, दवा, सौंदर्य प्रसाधन आदि के लिए दोहन किया जाता है ।
सैंटालिन एक लाल वर्णक है, जिसका उपयोग डाई करने में और भोजन को रंग प्रदान करने के लिए जाता है।
यह संगीत वाद्ययंत्र और लग्जरी फर्नीचर के लिए भी एक उत्तम कच्चा माल है ।
भारत द्वारा की गई पहलें
भारत से लाल चंदन का निर्यात विदेश व्यापार नीति के तहत प्रतिबंधित है। ऑपरेशन रक्त चंदन शुरू किया गया है।
2015 में रेड सैंडर्स एंटी-स्मगलिंग टास्क फोर्स (RSASTF) का गठन किया गया है।
संरक्षण की स्थिति
लाल चंदन को अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN ) की लाल सूची में इसे एनडेंजर्ड श्रेणी में रखा गया है।
भारत में वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 अनुसूची IV तथा वन्य जीवों और वनस्पतियों की संकटग्रस्त प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES) की “परिशिष्ट 2” में शामिल किया गया है ।
स्रोत – द हिन्दू