भारत सुपर कंप्यूटरों की गति को तीन गुना करने के लिए तैयार
हाल ही में केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री (MoES) ने कहा है कि भारत इस वर्ष अपनी सुपरकंप्यूटिंग क्षमता को बढ़ाएगा। साथ ही, 18 – पेटाफ्लॉप की गति वाले सुपर कंप्यूटर इनस्टॉल करेगा। इसे एक फ्रांसीसी कंपनी से आयात किया जाएगा।
फ्लोटिंग-पॉइंट ऑपरेशंस प्रति सेकंड (FLOPS) कंप्यूटर की प्रोसेसिंग स्पीड का सूचक है। एक पेटाफ्लॉप 1,000 ट्रिलियन फ्लॉप को संदर्भित करता है ।
सुपर कंप्यूटर का उपयोग डेटा – गहन और जटिल संगणना वाले वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग उद्देश्यों के लिए किया जाता है ।
इन उद्देश्यों में शामिल हैं— क्वांटम यांत्रिकी, मौसम पूर्वानुमान, तेल और गैस की खोज, आणविक मॉडलिंग, रोगों के पैटर्न को समझना, वायुगतिकी, परमाणु संलयन अनुसंधान आदि ।
विश्व का सबसे तेज हाई – परफॉर्मेंस कम्प्यूटिंग (HPC) सिस्टम अमेरिका का फ्रंटियर – क्रे सिस्टम है। इस सिस्टम की अधिकतम गति 1 एक्सा-फ्लॉप (1,000 पेटाफ्लॉप) है।
भारत के सबसे शक्तिशाली सिविलियन सुपर कम्प्यूटर प्रत्युष और मिहिर हैं। इनकी संयुक्त क्षमता 6.8 पेटाफ्लॉप्स है ।
परम (PARAM) शिवाय स्वदेशी रूप से निर्मित पहला सुपर कंप्यूटर था ।
वर्ष 2015 में राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (NSM) लॉन्च किया गया था । इसके बाद सुपर कंप्यूटर के स्वदेशी विकास में तेजी आई। इस मिशन का उद्देश्य देश में विशाल सुपरकंप्यूटिंग ग्रिड की स्थापना करके राष्ट्रीय शैक्षणिक और अनुसंधान एवं विकास संस्थानों को सशक्त बनाना है ।
NSM को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeiTY) तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) संयुक्त रूप से संचालित कर रहे हैं।
इसे C-DAC और IISc बैंगलोर कार्यान्वित कर रहे हैं ।
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C-DAC, पुणे में स्थापित AI रिसर्च एनालिटिक्स एंड नॉलेज डिसेमिनेशन प्लेटफॉर्म (AIRAWAT) को शीर्ष 500 सुपरकंप्यूटिंग सूची में 75वें स्थान पर रखा गया है।
स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस