‘भारत-विश्व बैंक’ की द्वितीय बांध पुनरुद्धार एवं सुधार परियोजना प्रारंभ
हाल ही में , भारत और विश्व बैंक ने बांध पुनरुद्धार एवं सुधार परियोजना के द्वितीय चरण (Dam Rehabilitation and Improvement Project: DRIP-2) हेतु समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
भारत सरकार, केंद्रीय जल आयोग, 10 भागीदार राज्यों के सरकारी प्रतिनिधियों और विश्व बैंक के बीच इस 250 मिलियन डॉलर की परियोजना के समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इसका उद्देश्य बांध सुरक्षा एवं लचीलेपन को सुदृढ़ करना है।
केंद्रीय जल आयोग (CWC) इस परियोजना के कार्यान्वयन के लिए राष्ट्रीय एजेंसी है।
DRIP-2 के उद्देश्य
- बांध परिसंपत्ति प्रबंधन के लिए जोखिम आधारित दृष्टिकोण का समावेश करना। यह दृष्टिकोण प्राथमिकता वाले बांधों की सुरक्षा आवश्यकताओं के लिए वित्तीय संसाधनों को प्रभावी रूप से आवंटित करने में सहायता प्रदान करेगा।
- बांध सुरक्षा दिशा-निर्देशों का निर्धारण करना और वैश्विक मानक विकसित करना। बाढ़ पूर्वानुमान प्रणाली स्थापित करना और जलाशय संचालनों को एकीकृत करना।
- नदी के अनुप्रवाह की दिशा में अधिवासित अतिसंवेदनशील समुदायों की सहायता हेतु आपातकालीन कार्य योजना तैयार करना।
- फ्लोटिंग सोलर पैनल जैसी अनुपूरक राजस्व सृजन योजनाओं का उपयोग करना।
बांध पुनरुद्धार और सुधार परियोजना (DRIP) के बारे में
- यह विश्व का सबसे व्यापक बांध प्रबंधन कार्यक्रम है। इसमें 223 बांध परियोजनाओं के पुनरुद्धार और सुधार की परिकल्पना की गई है। ज्ञातव्य है कि इसपरियोजना अवधि को वर्ष 2018 में 2 वर्ष के लिए विस्तारित कर दिया गया था।
- इस परियोजना का उद्देश्य व्यापक प्रणालीगत प्रबंधन दृष्टिकोण के साथ संस्थागत सुदृढ़ीकरण करते हुए चयनित बांधों की सुरक्षा और परिचालन संबंधी प्रदर्शन में सुधार करना है।
- इसे विश्व बैंक द्वारा प्रदत्त 437.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता से 6 वर्ष की अवधि के लिए प्रारंभ किया।
मुख्य तथ्य
भारत में 5,334 बड़े बाँध संचालित किये जा रहे हैं। इस संदर्भ में यह चीन और अमेरिका के उपरान्त वैश्विक स्तर पर तीसरे स्थान पर है। भारतीय बाँध और जलाशय वार्षिक रूप से लगभग 300 अरब मीटर घन जल का भंडारण करते हैं ।
स्रोत – द हिन्दू