भारत-वियतनाम व्यापक रणनीतिक साझेदारी की पांचवीं वर्षगांठ
हाल ही में भारत-वियतनाम व्यापक रणनीतिक साझेदारी की पांचवीं वर्षगांठ मनाई गई ।
इस वर्षगांठ समारोह की पृष्ठभूमि में दोनों देशों ने संसदीय सहयोग, सूचना प्रौद्योगिकी और समुद्री विज्ञान में तीन समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए।
भारत–वियतनाम संबंध
- भारत और वियतनाम, औपनिवेशिक शासन से मुक्ति के लिए साझा संघर्ष के इतिहास के साथ, पारंपरिक रूप से घनिष्ठ एवं सौहार्दपूर्ण द्विपक्षीय संबंध साझा करते हैं।
- वर्ष 2007 के दौरान दोनों देशों के बीच संबंधों को रणनीतिक साझेदारी के स्तर तक बढ़ा दिया गया था। वर्ष 2016 में इसे व्यापक रणनीतिक साझेदारी तक विस्तार प्रदान किया गया।
भारत के लिए वियतनाम का महत्व
- यह भारत की एक्ट ईस्ट नीति का केंद्र बिंदु है।
- वियतनाम क्षेत्र में स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए आसियान और हिंद-प्रशांत दोनों संदों में एक प्रमुख भागीदार है।
- वियतनाम ने UNSC में स्थायी सदस्यता के लिए भारत की दावेदारी का समर्थन किया है।
- भारतीय आंकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष अप्रैल 2020-मार्च 2021 के दौरान, भारत और वियतनाम के बीच द्विपक्षीय व्यापार 12 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया था। इसमें भारत द्वारा वियतनाम को 4.99 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य का निर्यात किया गया था।
संबंधों को बढ़ावा देने संबंधी पहले
- हनोई में स्वामी विवेकानंद भारतीय सांस्कृतिक केंद्र (SVCC) की स्थापना की गई है। इसका उद्देश्य सांस्कृतिक आदान-प्रदान के माध्यम से दोनों देशों के लोगों के बीच घनिष्ठ संबंधों को बढ़ावा देना है।
- मेकांग गंगा सहयोग (MGC) ढांचे के तहत, भारत सामुदायिक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए वियतनाम के विभिन्न प्रांतों में 50,000 अमेरिकी डॉलर प्रति योजना मूल्य की त्वरित प्रभाव परियोजनाओं (QIP) पर कार्य कर रहा है।
- भारत से रक्षा उपकरण खरीदने के लिए भारत ने वियतनाम को 600 मिलियन डॉलर का लाइन ऑफ क्रेडिट दिया है।
स्रोत – द हिन्दू