भारत और यूरोपीय संघ (EU) FTA समझौता
भारत और यूरोपीय संघ (EU) ने 9 वर्षों के अंतराल के बाद भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर फिर से वार्ता शुरू की है ।
मुक्त व्यापार समझौते के अलावा निम्नलिखित समझौतों पर भी वार्ता शुरू हुई है: पृथक निवेश संरक्षण समझौता (IPA), और भौगोलिक संकेतक (GI) समझौता।
यूरोपीय संघ भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है। वर्ष 2021-22 में भारत का इसके साथ द्विपक्षीय व्यापार 116.36 अरब अमेरिकी डॉलर के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया था। यूरोपीय संघ के साथ भारत का व्यापार अधिशेष है, अर्थात भुगतान संतुलन भारत के पक्ष में है।
उपर्युक्त स्थितियों को देखते हुए यह भारत के लिए सबसे महत्वपूर्ण मुक्त व्यापार समझौतों में से एक यूरोपीय संघ को किये जाने वाले भारत के प्रमुख निर्यात में शामिल हैं: खनिज ईंधन, यांत्रिक उपकरण, विद्युत और इलेक्ट्रॉनिक मशीनरी, ऑटोमोबाइल एवं ऑटो उपकरण, फार्मास्यूटिकल्स, कीमती पत्थर आदि।
भारत ने वर्ष 2007 में यूरोपीय संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौते के लिए वार्ता शुरू की थी। लेकिन वर्ष 2013 में वार्ता रुक गई थी। इसका कारण यह था कि दोनों पक्ष ऑटोमोबाइल और स्पिरिट, कृषि एवं डेयरी पर शुल्क तथा पेशेवरों की आवाजाही जैसे प्रमुख मुद्दों पर किसी समझौते पर पहुंचने में विफल रहे थे।
भारत–यूरोपीय संघ के बीच मुक्त व्यापार समझौते का महत्व
- यह भारतीय निर्यातकों को यूरोपीय संघ के बाजारों में प्रतिस्पर्धात्मक लाभ हासिल करने में मदद करेगा। वहीं घरेलू निर्माताओं को यूरोपीय संघ के सस्ते आयात तक पहुंच प्राप्त करने में मदद करेगा।
- यूरोपीय संघ को भारत को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और विकास का मुख्य स्रोत माना जाता है। मुक्त व्यापार समझौता मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत पहल को बढ़ावा देगा।
- यूरोपीय संघ भी एक बड़े बाजार की तलाश कर रहा है, क्योंकि यूरोपीय संघ के भीतर व्यापार स्थिर हो गया है। इसके अलावा, यूनाइटेड किंगडम के साथ भी उसका व्यापार कम हो रहा है।
मुक्त व्यापार समझौता (FTA)
- देशों के बीच एक महत्वाकांक्षी व्यापार समझौता है। यह नकारात्मक सूची के आधार पर एक दूसरे पक्ष को तरजीही सुविधा प्रदान करता है।
- निवेश संरक्षण समझौता (IPA) एक पारस्परिक समझौता है। इसमें हस्ताक्षरकर्ता पक्ष एक-दूसरे के राज्यक्षेत्रों में नागरिकों द्वारा किए गए निजी निवेश को बढ़ावा देने और संरक्षित करने का वचन देते हैं। भौगोलिक संकेतक (GI) समझौता, GI उत्पादों के व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिए एक पारदर्शी और पूर्वानुमान आधारित विनियामक परिवेश स्थापित करता है।
स्रोत –द हिन्दू