भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने द क्लाइमेट हैजर्ड एंड वल्नरेबिलिटी एटलस ऑफ इंडिया लॉन्च किया

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने द क्लाइमेट हैजर्ड एंड वल्नरेबिलिटी एटलस ऑफ इंडिया लॉन्च किया

भारत को प्रत्येक जिले की 14 चरम मौसम की घटनाओं के आधार पर अपना पहला जलवायु भेद्यता एटलस मिला है। यह एटलस मौसम की चरम घटनाओं जैसे अत्यधिक वर्षा, सूखा, शीत लहर, हीटवेव, तुफान, चक्रवात, आकाशीय बिजली वादि पर आधारित है।

यह एटलस जोखिम की विभिन्न श्रेणियों के साथ सुभेद्यता की एक श्रृंखला प्रदान करता है। यह प्रत्येक भारतीय जिले के लिए जोखिम को उसकी सुभेद्यता के अनुसार शून्य, कम, मध्यम, उच्च और उच्चतम श्रेणी में रखता है।

महत्व

  • विभिन्न क्षेत्रों के लिए प्रभाव आधारित चेतावनी जारी की जा सकती है। एटलस कुछ चरम मौसमी घटनाओं के क्षेत्र विशेष प्रभाव को समझने में मदद करेगा।
  • आपदा प्रबंधन क्षेत्रों को सुभेद्य जिलों की पहचान करने में मदद करेगा। इससे वे निवारक और अनुकूलक उपाय लागू कर सकेंगे।
  • जलवायु संकट के कारण चरम मौसम की घटनाओं में वृद्धि की स्थिति में आपदा के दौरान तैयारियों में सहायता प्रदान करेगा।
  • यह आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे की योजना बनाने में सहायक है। – हाल के दिनों में जोखिम-संभावित क्षेत्रों में बदलाव को भी शामिल किया गया है।
  • यह निगरानी और पूर्वानुमान में सहायक सिद्ध होगा। यह सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं अर्थात् आपातकालीन प्रतिक्रिया क्षमता, बेहतर प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली आदि में भी सुधार करेगा।

संकट (Harard):

इसे ऐसी भौतिक घटना के रूप में परिभाषित किया गया है, जो लोगों, इमारतों या आर्थिक संपत्तियों के लिए खतरा उत्पन्न करती है। साथ ही, जो आपदा (disaster) का कारण बन सकती है।

सुभेद्यता (Vulnerability):

यह वह सीमा है, जिस तक किसी समुदाय, इमारत, सेवा या भौगोलिक क्षेत्र के किसी विशेष विपदा के प्रभाव से क्षतिग्रस्त या बाधित होने की संभावना होती है।

जलवायु अनुसंधान और सेवाएं:

CRS का मुख्यालय पुणे में स्थित है। यह मौसम पूर्वानुमान, एडब्ल्यूएस डेटा, ग्रिड डेटा, विकिरण डेटा, कृषि मौसम डेटा और मौसम संबंधी डेटा प्रदान करता है।

स्रोत: द हिंदू

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