भारत में संचार निगरानी पर कानून
भारत में संचार निगरानी पर कानून
भारत में संचार निगरानी मुख्य रूप से दो कानूनों के तहत की जाती है:
- भारतीय तार अधिनियम (Telegraph Act),1885
- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000
उपरोक्त दोनों कानूनों के तहत, केवल सरकार को कुछ परिस्थितियों में निगरानी करने की अनुमति है, न कि निजी अभिकर्ताओं को।
- भारतीय तार अधिनियम, 1885 के अंतर्गत सरकार केवलकुछ स्थितियों जैसे भारत की संप्रभुता और अखंडता के हित में, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध या लोक व्यवस्था या किसी भी अपराध को होने से रोकने के लिए कॉल को इंटरसेप्ट कर सकती है।
- ये वही प्रतिबंध हैं, जो संविधान के अनुच्छेद 19(2) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर आरोपित किए जाते हैं।
- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के अधीन वर्ष 2009 में बनाए गए सूचना प्रौद्योगिकी (सूचना का वरोधन, निगरानी और डिक्रिप्शन की प्रक्रिया और रक्षोपाय) नियम (IT (Procedures and Safeguards for Interception, Monitoring and Decryption of Information) Rules framed in 2009)के तहत, केवल सक्षम प्राधिकारी ही आदेश जारी कर सकता है।
- सक्षम प्राधिकारी केंद्रीय गृह सचिव या गृह विभागोंके प्रभारी राज्य सचिव हैं।
- इससे पूर्व, पब्लिक यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज बनामभारत संघ वाद (1998) में, उच्चतम न्यायालय ने भारतीय तार अधिनियम के प्रावधानों में प्रक्रियात्मक रक्षोपाय की कमी की ओर संकेत किया था और अवरोधन के लिए कुछ दिशा-निर्देश निर्धारित किए थे।
स्रोत: द हिन्दू
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