‘भारत में युवा 2022‘ रिपोर्ट जारी
हाल ही में सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा ‘भारत में युवा 2022’ रिपोर्ट जारी की है गई है।
इस रिपोर्ट के अनुसार देश में बुजुर्गों की संख्या, युवाओं की संख्या से अधिक अनुमानित की गई है।
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष
- वर्ष 2021 में देश की कुल आबादी में 15-29 वर्ष के आयु वर्ग के युवाओं की हिस्सेदारी 2% थी। वर्ष 2036 में इसके घटकर 22.7% होने की संभावना है।
- बहुत अधिक आबादी वाले राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश और बिहार में युवाओं की आबादी में अब से गिरावट आने की संभावना है। इन राज्यों में वर्ष 2021 तक कुल जनसंख्या में युवा आबादी के अनुपात में वृद्धि हुई थी।
- केरल, तमिलनाडु और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में वर्ष 2036 तक युवाओं की तुलना में बुजुर्ग आबादी अधिक होने का अनुमान है।
कारण
- जन्म के समय उच्च जीवन प्रत्याशा और प्रजनन क्षमता में निरंतर गिरावट के कारण कामकाजी आयु की आबादी में अधिक वृद्धि हुई है।
- आंतरिक प्रवास के कारण व्यापक अप्रवासन आबादी के बुजुर्ग होने की प्रक्रिया को धीमा कर सकती है। भले ही यह अस्थायी रूप से ही हो। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि प्रवास करने वाले लोग कामकाजी युवा आयु के होते हैं।
परिणाम
- सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) की वृद्धि दर धीमी हो जाती है।
- आबादी के लिए सहायता की लागत में वृद्धि हो जाती है।
- सरकारी बजट पर बोझ बढ़ जाता है।
- आम तौर पर लोग अनौपचारिक रोजगार में होते हैं। ऐसे रोजगार सामाजिक सुरक्षा प्रदान नहीं करते हैं। ऐसे में बुजुर्ग लोगों के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं और कल्याणकारी योजनाओं/कार्यक्रमों की मांग बढ़ जाती है।
आगे की राह
आने वाले कुछ वर्षों में जनसांख्यिकीय लाभांश का पूरा लाभ उठाया जाना चाहिए। यह कदम अधिक उत्पादक रोजगार पैदा करेगा। इससे बचत और विकास को बढ़ावा मिलेगा।
स्रोत –द हिन्दू