हाल ही में जारी ‘द लैंसेट’ की रिपोर्ट के अनुसार भारत में फुफ्फुसीय तपेदिक (pulmonary TB) के जोखिम का सामना कर रही पारिवारिक आबादी की संख्या विश्व में सबसे अधिक है ।
रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष
- टीबी के कुल वैश्विक मामलों का सर्वाधिक हिस्सा भारत में (30%) है। इसके बाद पाकिस्तान, इंडोनेशिया, नाइजीरिया (5 मिलियन) और फिलीपींस का स्थान है।
- इस रोग के उच्च बोझ वाले 20 देशों में 38 मिलियन परिवारों में कम से कम एक व्यक्ति फुफ्फुसीय तपेदिक से ग्रसित है।
- फुफ्फुसीय टीबी से पीड़ित व्यक्ति के परिवार में बच्चे टीबी के प्रति सर्वाधिक सुभेद्य होते हैं।
टीबी रोग के बारे में
- यह रोग बैक्टीरिया (माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस) के कारण होता है। यह अधिकतर फेफड़ों कोप्रभावित करता है।
- यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में खांसने, छींकने या थूकने से फैलता है।
- साधारणत यह फेफड़ों (pulmonary TB) को प्रभावित करता है, किंतु यह अन्य अंगों (extra-pulmonary TB) को भी प्रभावित कर सकता है।
- दवा प्रतिरोधी टीबी विश्व भर में रोगाणुरोधी प्रतिरोध में एक प्रमुख योगदानकर्ता है और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा बनी हुई है।
टीबी नियंत्रण हेतु भारत द्वारा किए गए प्रयास
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के वर्ष 2030 तक टीबी उन्मूलन के वैश्विक लक्ष्य से पांच वर्ष पूर्व वर्ष 2025 तक टीबी को समाप्त करने के लिए राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (National Tuberculosis Elimination Program: NTEP) का संचालन किया जा रहा है।
निक्षय (NIKSHAY) पोर्टल
- टीबी रोगियों की NTEP ऑनलाइन अधिसूचना के तहत निगरानी पोर्टल स्थापित किया गया है।
- टीबी रोगियों को उनके पोषण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने हेतु निक्षय पोषण योजना (NPY) का क्रियान्वयन जारी है।
स्रोत – द हिन्दू