भारत में एंटी-साइबरबुलिंग कानून

Share with Your Friends

Join Our Whatsapp Group For Daily, Weekly, Monthly Current Affairs Compilations

भारत में एंटी-साइबरबुलिंग कानून

बुल्ली बाई ऐप के हालिया मामले में मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरों को फर्जी नीलामी के लिए पोस्ट किया गया था। इस मामले ने महिलाओं की ऑनलाइन बुलिंग का मुद्दा सुर्खियों में ला दिया है।

भारतीय दंड संहिता (IPC), न तो बुलिंग को परिभाषित करती है और न ही इसे अपराध के रूप में दंडित करती है। हालांकि, IPC और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (IT अधिनियम) के विभिन्न प्रावधानों का उपयोग साइबरबुलिंग से निपटने के लिए किया जा सकता है।

साइबर या ऑनलाइन बुलिंग कई तरीकों से की जा सकती है:

  • निजी अकाउंट्स को बार-बार हैक करना;
  • फ्लेमिंग, जो किसी पर हमला करने के लिए अशिष्ट याअसंवेदनशील भाषा का प्रयोग है;
  • किसी के निजी संदेश या तस्वीर को साझा करना या ऐसाकरने की धमकी देना/ ब्लैकमेलिंग;
  • किसी का पीछा करना और लक्षित संदेश भेजना आदि।

ऐसे साइबर अपराधों के विरुद्ध कानूनी प्रावधानः

  • IPC की धारा 354A (लैंगिक उत्पीड़न की परिभाषा और लैंगिक उत्पीड़न के लिए दंड), 354C (घूरना) तथा धारा 354D (पीछा करना)।
  • आई.टी. अधिनियम की धारा 66E निजता के उल्लंघन केलिए दंड का प्रावधान करती है।
  • स्त्री अशिष्ट रूपण (प्रतिषेध) अधिनियम, 1986।

सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशा-निर्देश और डिजिटलमीडिया आचार संहिता) नियम, 2021:

इसके प्रावधान में मध्यस्थों द्वारा यथोचित तत्परता (Due diligence) और शिकायत निवारण तंत्र शामिल है। इसकेलिए उन्हें अपने उपयोगकर्ताओं को किसी भी अवैध सूचना है की होस्टिंग, प्रदर्शन, अपलोड, संशोधन, प्रकाशन, संचरण,भंडारण, अपडेट या साझा नहीं करने के लिए सूचित करना अनिवार्य है।

स्रोत –द हिन्दू

Download Our App

MORE CURRENT AFFAIRS

Related Articles

Youth Destination Facilities