भारत में एंटीरेट्रोवायरल (ARV) दवाओं कमी नहीं
हाल ही में राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (NACO) ने कहा कि भारत में एंटी-रेट्रोवायरल (ARV) दवाओं की कोई कमी नहीं है ।
NACO ने ARV दवाओं की किसी भी कमी के आरोपों का खंडन किया है। उसके अनुसार एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी (ART) केंद्रों में भर्ती लगभग 95% HIV संक्रमित लोगों (PLHIV) के लिए पर्याप्त दवाइयां मौजूद हैं।
भारत में वर्ष 2019 में HIV संक्रमित लोगों की संख्या लगभग 23.48 लाख थी।
HIV (ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस) एक ऐसा वायरस है, जो बीमारी और संक्रमण से लड़ने वाली महत्वपूर्ण कोशिकाओं को नष्ट करके व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है।
वर्तमान में HIV का कोई प्रभावी इलाज नहीं है। हालांकि, उचित चिकित्सा देखभाल से HIV को नियंत्रित किया जा सकता है।
यदि HIV का इलाज नहीं किया जाता है, तो यह एड्स/ AIDS (एक्वायर्ड इम्युनोडिफीसिअन्सी सिंड्रोम) का रूप ले सकता है।
उपचार के लिए, PLHIV को वायरस को दबाने, व्यक्ति को स्वस्थ बनाए रखने और HIV-नेगेटिव पार्टनर को वायरस से संक्रमित होने से बचाने के लिए ARV की कई दवाओं तक पहुंच की आवश्यकता होती है।
ART उपचार में रुकावट की वजह से HIV संक्रमित लोग जीवन के लिए घातक बैक्टीरियल और फंगल संक्रमणों की चपेट में आ जाते हैं।
सरकार द्वारा की गई पहलें:
- राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम (NACP) चलाया जा रहा है।
- स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की संस्था राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन NACP की गतिविधियों के लिए नोडल एजेंसी की भूमिका निभाती है।
- PLHIV के खिलाफ भेदभाव को दूर करने के लिए HIV और एड्स (रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 2017 बनाया गया है।
- ART सेवाओं पर निगरानी के लिए राष्ट्रीय रणनीतिक योजना 2017-24 बनाई गई है। इसके लिए मिशन संपर्क (SAMPARK) भी शुरू किया गया है ।
स्रोत –द हिन्दू