भारत में इस्पात उत्पादन
हाल ही में इस्पात मंत्रालय ने हरित इस्पात (Green Steel) के लिए 13 टास्क फोर्स के गठन को मंजूरी दी है।
- ‘हरित इस्पात के उत्पादन के अलग-अलग पहलुओं पर विचार-विमर्श करने और कार्यवाही बिंदु तैयार करने के लिए टास्क फोर्स गठित किए गए हैं।
- हरित इस्पात से तात्पर्य जीवाश्म ईंधन पर निर्भर हुए बिना इस्पात के उत्पादन से है।
- कोयले से चलने वाले पारंपरिक संयंत्रों के स्थान पर हाइड्रोजन, कोयला गैसीकरण या बिजली जैसे वैकल्पिक निम्न – कार्बन उत्सर्जन वाले ऊर्जा स्रोतों का उपयोग किया जाता है।
- इसके परिणामस्वरूप, ग्रीन हाउस गैसों का कम उत्सर्जन होता है, उत्पादन लागत कम हो जाती है तथा इस्पात की गुणवत्ता में भी सुधार होता है ।
- ब्लू और ग्रीन हाइड्रोजन सहित निम्न – कार्बन हाइड्रोजन का उपयोग करने से इस्पात उद्योग के कार्बन फुटप्रिंट को कम किया जा सकता है।
भारत में इस्पात उत्पादन
- भारत विश्व में दूसरा सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक देश है । देश में वित्तीय वर्ष 2021-2022 के दौरान 120 मिलियन टन (MT) इस्पात का उत्पादन हुआ था ।
- वर्ष 2021 में भारत, चीन के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा इस्पात उपभोक्ता देश था ।
- देश के महत्वपूर्ण इस्पात उत्पादक केंद्र हैं- भिलाई (छत्तीसगढ़), दुर्गापुर और बर्नपुर (पश्चिम बंगाल), जमशेदपुर व बोकारो (झारखंड) तथा राउरकेला (ओडिशा) ।
इस्पात उद्योग में विकार्बनीकरण को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदम
- स्टील स्क्रैप पुनर्चक्रण नीति, 2019 जारी की गई है। यह घरेलू स्तर पर उत्पन्न इस्पात स्क्रैप की उपलब्धता को बढ़ाती है। इससे इस्पात उत्पादन में कोयले का कम उपयोग होता है ।
- मोटर वाहन ( वाहन स्क्रैपिंग सुविधा का पंजीकरण और कार्य) नियम, 2021 इस्पात क्षेत्रक में स्क्रैप की उपलब्धता बढ़ाते हैं।
- प्रदर्शन, उपलब्धि और व्यापार (Perform, Achieve and Trade: PAT) योजना ऊर्जा खपत को कम करने के लिए इस्पात उद्योग को प्रोत्साहित करती है।
स्रोत – द हिन्दू