भारत में आदिवासी समुदाय के स्वास्थ्य सुधार हेतु अनामय पहल

भारत में आदिवासी समुदाय के स्वास्थ्य सुधार हेतु अनामय पहल

भारत में आदिवासी समुदाय के स्वास्थ्य सुधार हेतु अनामय पहल

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री और जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री ने संयुक्त रूप से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम के  जरिये  जनजातीय स्वास्थ्य सहयोग (THC) कार्यक्रम ‘अनामय’ (Anamaya) का शुभारंभ किया है।

एक बहु-हितधारक पहल है जिसको पीरामल फाउंडेशन और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (BMGF) का समर्थन प्राप्त है।

यह भारत के जनजातीय समुदायों के बीच रोगों से होने वाली आदिवासी मौतों समाप्त करने के लिए  राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय, गैर-सरकारी संगठनों (NGO),समुदाय आधारित संगठनों (CBO) को एक साथ लाने की अनूठी पहल है।

इस पहल का उद्देश्य:

  • इसका मुख्य उद्देश्य भारत की जनजातीय आबादी की प्रमुख स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान कर उनके लिए एक स्वस्थ्य परिवेश का निर्माण करना है।
  • वर्ष 2018 में अभय बंग समिति ने “भारत में जनजातीय स्वास्थ्य” संबंधी मुद्दों और चिंताओं पर एक व्यापक रिपोर्ट जारी की थी।
  • इस रिपोर्ट के अनुसार पिछले 26 वर्षों के अंतराल में आदिवासी आबादी के बीच बाल मृत्यु दर आधी हो गई है।
  • वर्ष1988 में आदिवासी बाल मृत्यु दर 90 थी जो वर्ष 2014 में यह घटकर 44 हो गयी| इसके अलावा 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर्ज 1988 में 135 से गिरकर 2014 में 57 तक पहुँच गयी है।
  • तपेदिक का कहर भी आदिवासियों के लिए संकट का सूचक रहा है| यदि देखा जाये तो भारत में तपेदिक का प्रसार प्रति 1,00,000 मामलों में 256 है।
  • जबकि आदिवासी आबादी में तपेदिक, के मामले प्रति 100,000 पर 703 है | इसके अलावा चार आदिवासी वयस्कों में से प्रत्येक  उच्च रक्तचाप से पीड़ित है।
  • इन रिपोर्टों के आधार पर सरकार ने आदिवासी आबादी के स्वास्थ्य सुधार हेतु विभिन्न कार्यक्रम लागू किये| उन्ही कार्यक्रमों में से एक है अनामय पहल|
  • यह जनजातीय समुदायों में स्वास्थ्य एवं पोषण की स्थिति सुधार हेतु विभिन्न सरकारी एजेंसियों और संगठनों के प्रयासों को एकीकृत कर स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और जनजातीय मामलों के मंत्रालय के 2025 तक “टीबी मुक्त भारत” अभियान के लक्ष्य को पूरा करने में सहायक होगा|
  • इस सहयोग के हिस्से के रूप में, मंत्रालय जनजातीय स्वास्थ्य में नीतिगत पहल करने के लिए जनजातीय स्वास्थ्य पर राष्ट्रीय परिषद की स्थापना, जनजातीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा वितरण की बारीकी से निगरानी करने और जनजातीय स्वास्थ्य कार्य योजना लागू करने के लिए तंत्र तैयार करने के लिए कई गतिविधियाँ शुरू करेगा |

कार्यान्वयन:

  • इस पहल को घनी जनजातीय आबादी वाले 6 राज्यों के 50 आदिवासी आकांक्षी ज़िलों के साथ प्रारंभ किया जायेगा एवं अगले 10 साल के दौरान THC के काम का विस्तार जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा मान्यता प्राप्त 177 आदिवासी ज़िलों तक किया जाएगा।
  • 20% से अधिक अनुसूचित जनजाति जनसंख्या वाले जिलों के विकास को बढाने के लिए भारत सरकार ने ऐसे जिलों को आकांक्षी जिले के रूप में चिह्नित किया है |
  • अनामय पहल के तहत जनजातीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य देखभाल आवश्यकताओं की निगरानी के लिए जनजातीय स्वास्थ्य और एक जनजातीय स्वास्थ्य प्रकोष्ठ पर राष्ट्रीय परिषद का गठन किया जायेगा| साथ ही, अनामय जनजातीय स्वास्थ्य कार्य योजना (Tribal Health Action Plan) को लागू करेगा।

जनजातीय विकास हेतु सरकार के अन्य प्रयास:

  • ग्रामीण भारत के जटिल एवं दुर्गम क्षेत्रों में रह रहे जनजातीय लोगों के लिये सुरक्षित एवं पर्याप्त जलापूर्ति उपलब्ध कराने के लिए ‘1000 स्प्रिंग इनिशिएटिव्स कार्यक्रम; लागू किया गया है |
  • यह पहल बारहमासी स्प्रिंग्स के जल का उपयोग करने में सहायता करेगी, जिसका उपयोग जनजातीय क्षेत्रों में पानी की कमी को दूर करने के लिये किया जाएगा।
  • हाल ही में जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा जनजातीय स्वास्थ्य प्रकोष्ठ की स्थापना की जा रही है ,यह केंद्रीय मंत्रालयों और राज्य सरकारों को प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों को सुविधाजनक बनाने और मज़बूत करने तथा आदिवासी स्वास्थ्य अनुसंधान में निवेश करने में मदद करेगा ।

स्रोत: पीआईबी

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