भारत-मध्य एशिया वार्ता की तीसरी बैठक : दिल्ली
हाल ही में विदेश मंत्रियों के मध्य तीसरा भारत मध्य एशिया संवाद दिल्ली में आयोजित किया गया है।इस संवाद का आयोजन भारत और पांच मध्य एशियाई देशों-कजाकिस्तान, किर्गिज गणराज्य, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्वेकिस्तान के मध्य किया गया था।
संयुक्त वक्तव्य की मुख्य विशेषताएं
अफगानिस्तान मुद्दाः संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) प्रस्ताव 2593 (2021) को यथावत रखने पर सहमति प्रकट की गई। यह प्रस्ताव स्पष्ट रूप से मांग करता है कि अफगान क्षेत्र का उपयोग आतंकवादी गतिविधियों को आश्रय, प्रशिक्षण, योजना निर्माण या वित्तपोषण के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
भारत ने ‘फोर सी’ (FOURC) दृष्टिकोण प्रस्तुत कियाः इसके तहत वाणिज्य (commerce), क्षमता वृद्धि (capacity enhancement), कनेक्टिविटी तथा संपर्कों (contacts) पर ध्यान केंद्रित करते हुए दोनों पक्षों के बीच सहयोग को और अधिक विस्तारित करने पर चर्चा हुई
आतंकवादः अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर संयुक्त राष्ट्र के व्यापक सम्मेलन के शीघ्र अंगीकरण का आह्वान किया गया।
कनेक्टिविटी: क्षेत्रीय कनेक्टिविटी के लिए ईरान में चाबहार बंदरगाह के पूर्ण उपयोग पर निर्णय लिया गया।
ये पांच मध्य एशियाई देश इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के भी सदस्य हैं। उन्होंने दिल्ली संवाद में भाग लेने के लिए अफगानिस्तान की स्थिति पर पाकिस्तान द्वारा आयोजित बैठक में भाग लेना अस्वीकार कर दिया था।
भारत के लिए मध्य एशिया क्षेत्र (CAR) का महत्वः
- भू-रणनीतिक महत्व अर्थात् एशिया के विभिन्न क्षेत्रों और यूरोप एवं एशिया के बीच सेतु के रूप में।
- क्षेत्र में शांति सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण।
- CAR में पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, स्वर्ण, यूरेनियम आदि जैसे खनिज संसाधन प्रचुर मात्रा में मौजूद हैं, जिनका अभी दोहन किया जाना शेष है।
CAR में भारत के लिए चुनौतियां:
चीन-पाकिस्तान का गठजोड़, प्रत्यक्ष संपर्क का अभाव, भारत का कम द्विपक्षीय व्यापार इत्यादि।
स्रोत – द हिन्दू