भारत का भूस्खलन (Landslide) मानचित्र जारी

भारत का भूस्खलन (Landslide) मानचित्र जारी

हाल ही में राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केन्द्र (NRSC), हैदराबाद ने ‘भारत का भूस्खलन (Landslide) मानचित्र जारी किया है।

  • NRSC के वैज्ञानिकों ने पहली बार ‘भारत का भूस्खलन मानचित्र तैयार करने के लिए 1988 से 2022 के बीच रिकॉर्ड किए गए भूस्खलनों का जोखिम आकलन किया है।
  • यह आकलन देश के 17 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों के 147 जिलों में रिकॉर्ड किए गए भूस्खलनों पर आधारित है।
  • इस मानचित्र को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो / ISRO) के आपदा प्रबंधन सहायता कार्यक्रम के अंतर्गत तैयार किया गया है।
  • यह मानचित्र अंतरिक्ष डेटा और भू-स्थानिक मॉडल्स का उपयोग करके भूस्खलन का राज्यवार भू-स्थानिक वितरण प्रदान करेगा।
  • NRSC, एरियल और सैटेलाइट स्रोतों से प्राप्त डेटा के प्रबंधन के लिए उत्तरदायी है ।

मानचित्र में दिए गए मुख्य तथ्य

  • भारत विश्व में तीसरा सबसे अधिक भूस्खलन प्रवण (prone) देश है।
  • भारत का 12.6 प्रतिशत भू-क्षेत्र, बर्फ से ढके क्षेत्र को छोड़कर भूस्खलन प्रवण है।
  • भारत में भूस्खलन की 66.5 प्रतिशत घटनाएं उत्तर-पश्चिमी हिमालय में घटित होती हैं। इसके बाद पूर्वोत्तर हिमालय ( 18.8 प्रतिशत) और पश्चिमी घाट (14.7 प्रतिशत) का स्थान है।
  • भूस्खलन के प्रति सुभेद्यता के आधार पर शीर्ष 5 जिले हैं : रुद्रप्रयाग और टिहरी गढ़वाल (उत्तराखंड), त्रिशूर (केरल), राजौरी (जम्मू-कश्मीर) तथा पलक्कड़ (केरल)।
  • भूस्खलन को बड़े पैमाने पर चट्टानों, मलबा या मिट्टी के ढलान से तीव्र संचलन के रूप में परिभाषित किया जाता है।

भूस्खलन की निगरानी और नियंत्रण के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम

  • लैंडस्लिप (LANDSLIP) प्रोजेक्ट के तहत भौगोलिक सूचना तंत्र (GIS) आधारित भूस्खलन पूर्व चेतावनी प्रणाली (LEWS) विकसित की गई है।
  • भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने देश के अलग-अलग भागों में भूस्खलन की संवेदनशीलता का मानचित्रण किया है।
  • राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ( NDMA) ने भूस्खलन जोखिम क्षेत्र के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

भूस्खलन के निम्नलिखित कारण :

  • सामाजिक–आर्थिक मापदंड, जैसे- कुल जनसंख्या, परिवारों की संख्या आदि ।
  • वनों की कटाई, अत्यधिक वर्षा,भूकंप इत्यादि ।

भूस्खलन के प्रभाव:

जीवन और अवसंरचना को नुकसान पहुंचता है,बाढ़ आने का खतरा बढ़ जाता है,अवसंरचना के पुनर्निर्माण के लिए वित्तीय बोझ उत्पन्न होता है, आदि ।

स्रोत – ट्रिब्यून इंडिया

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