भारत और फ्रांस हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर सहमत

भारत और फ्रांस हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर सहमत

हाल ही में भारत और फ्रांस ‘हिंद-प्रशांत क्षेत्र’ में सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए हैं।

दोनों देशों ने निरंतर बदलते भू-राजनीतिक घटनाक्रम (विशेष रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में) को देखते हुए भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी को गहरा करने के लिए अपनी साझा प्रतिबद्धता की पुष्टि की है।

हिंद-प्रशांत में राज्यक्षेत्रीय उपस्थिति नहीं होने के बावजूद भी ये दोनों देश यहां रेजिडेंट पॉवर्स के रूप में प्रभाव रखते हैं।

India and France agree to expand cooperation on the Indo-Pacific body

हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए भारत-फ्रांस में प्रमुख गतिविधियां

  • दोनों देशों ने भारत-फ्रांस-ऑस्ट्रेलिया त्रिपक्षीय तंत्र के तहत सहयोग फिर से शुरू करने में अपनी रुचि व्यक्त की है।
  • हिंद-प्रशांत में अपने सहयोग के तहत, दोनों देश हिंद-प्रशांत त्रिपक्षीय विकास सहयोग कोष की स्थापना की दिशा में कार्य करने के लिए सहमत हुए हैं।
  • इस कोष का उद्देश्य भारत स्थित नवप्रवर्तकों और स्टार्टअप्स को अपने नवाचारों को तीसरे देशों (विशेष रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र) में ले जाने में सहायता करना है।
  • यह कोष अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन फ्रेमवर्क और इसकी स्टार-सी (STAR-C) परियोजना के तहत विकास परियोजनाओं को शुरू करने के अवसरों का भी पता लगाएगा।
  • ब्लू इकोनॉमी और ओशन गवर्नेस जैसे नए क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों का विस्तार किया जाएगा।

भारत और फ्रांस के लिए हिंद-प्रशांत का महत्व-

  • इस क्षेत्र के व्यापार और अर्थव्यवस्था का विश्व के सकल घरेलू उत्पाद में 62% का योगदान है। साथ ही, यह वैश्विक पण्य (merchandise) में 46% का योगदान करता है।
  • भारत और अन्य देशों के बीच वस्तुओं, सेवाओं व प्रौद्योगिकी की अधिक आवाजाही को प्रोत्साहित करके व्यापार एवं निवेश सहयोग बढ़ाएगा।
  • ब्लू इकोनॉमी के विकास के माध्यम से सतत विकास को बढ़ावा मिलेगा।
  • फ्रांस का 93% अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) हिंद महासागर और प्रशांत महासागर में स्थित है।

हिंद-प्रशांत से जुड़ी चुनौतियां-

  • हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य मौजूदगी के कारण इस क्षेत्र में सुरक्षा संबंधी चुनौतियां पैदा हो गई हैं।
  • संचार के समुद्री मार्गों (SLOCS) की सुरक्षा के समक्ष खतरा पैदा हो गया है।
  • समुद्री डकैती, आतंकवाद, सामूहिक विनाश के – हथियारों के प्रसार आदि जैसी चिंताएं भी बढ़ रही हैं।

स्रोत –द हिन्दू

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